देश का पहला मदर मिल्क डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर , 600 यूनिट मदर मिल्क मिला अजमेर को

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किशोर/भीलवाड़ा, अजमेर – मिनीग्रीन कॉरिडॉर बनाकर मदर मिल्क परिवहन करने वाला भीलवाड़ा देश में पहला जिला बन गया। बुधवार को एमजी हॉस्पिटल मदर मिल्क बैंक से एसी वैन से 600 यूनिट मदर मिल्क अजमेर के जेएनएल मेडिकल कॉलेज मदर मिल्क स्टोरेज एवं डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर भेजा गया। 150 किलोमीटर के मिनी ग्रीन कॉरिडोर में वैन को अजमेर पहुंचने में करीब दो घंटे लगे। अजमेर में मदर मिल्क बैंक नहीं होने से शिशुओं की मौत अधिक हो रही हैं। भीलवाड़ा से मदर मिल्क जाने के कारण अब अजमेर में मरने वाले 100 शिशुओं में से 16 को बचा लिया जाएगा। शिशुओं के बचने की संभावना छह से आठ गुना बढ़ जाएगी। उनकी रिकवरी 40 फीसदी तेजी से होगी। ग्रीन कॉरिडाॅर के लिए भीलवाड़ा से अजमेर तक के सभी पुलिस थानों को अलर्ट किया गया था इसलिए पुलिसकर्मी पहले से उनके तय प्वाइंट पर खड़े थे।
टोल नाके पर एसी वैन को परेशानी नहीं हो इसलिए पहले ही सभी टोल प्लाजा को भी अलर्ट किया गया था। एसी वैन को भीलवाड़ा से अजमेर तक पुलिस की तीन गाड़ियां एस्कॉर्ट करते हुए चल रही थी। भीलवाड़ा की सीमा क्रॉस करते ही अजमेर पुलिस ने एस्कॉर्ट करना शुरू कर दिया। एसी वैन के तापमान की जीपीएस से मॉनीटरिंग हो रही थी। मदर मिल्क खराब नहीं हो जाए इसके लिए एसी वैन से परिवहन किया गया।
अब तक ग्रीन कॉरिडॉर मेडिकल इमरजेंसी यानी दिल या लीवर को एक से दूसरी जगह कम समय में पहुंचाने के लिए बनाया जाता है लेकिन देश में पहली बार मदर मिल्क ट्रांसपोर्ट करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। मदर मिल्क वैन को एडीएम (सिटी) आनंदीलाल वैष्णव ने पूजा अर्चना कर रवाना किया।
इसलिए चुना गया अजमेर को
प्रदेश के सभी मदर मिल्क बैंक में से सबसे ज्यादा मिल्क भीलवाड़ा मदर मिल्क बैंक में हैं। भीलवाड़ा के मदर मिल्क बैंक में चार माह में 412 माताओं ने 602 बार में 1,900 यूनिट दूध दान किया। अभी 600 यूनिट मिल्क अतिरिक्त था।
दूसरी ओर, अजमेर में मदर मिल्क बैंक नहीं है और वहां संभाग में सबसे ज्यादा शिशुओं की मौतें हो रही थी। यहां के अतिरिक्त मदर मिल्क को दूसरे जिलों के शिशुओं के लिए भेजना था। उदयपुर में पहले से मदर मिल्क बैंक है। अजमेर में मदर मिल्क की जरूरत होने के साथ-साथ भीलवाड़ा से अजमेर की दूरी भी कम थी इसलिए भीलवाड़ा और अजमेर का कांबिनेशन बैठ गया। उदयपुर, टोंक, ब्यावर से भी मदर मिल्क बैंकों से अतिरिक्त मिल्क को अजमेर पहुंचाया जाएगा।
इसलिए बनाया ग्रीन कॉरिडोर
मदरमिल्क में जीवित कोशिकाएं होती हैं। इन्हें जीवित रखने के लिए माइनस 20 डिग्री तापमान को मेंटेन रखना पड़ता है। कोल्ड चैन मेंटेन रखते हुए मिल्क को जल्द से जल्द एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाना होता है। यह भी देखा जाना था कि परिवहन के समय रास्ते में किस तरह की परेशानियां सकती हैं और उनका कैसे समाधान किया जा सकता है। मदर मिल्क की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कोल्ड-चेन मेंटेन रखनी होती है।
चार महीने में माह में 412 माताओं ने दूध दान किया
एमजीअस्पताल परिसर में संचालित आंचल मदर मिल्क बैंक में चार माह में 412 माताओं ने 602 बार में 1900 यूनिट दूध दान किया। जिसमें से 600 यूनिट अतिरिक्त मिल्क को अजमेर भेजा गया। इस मिल्क से अजमेर में जेएलएन मेडिकल कॉलेज में मरने वाले 100 शिशुओं में से 16 को बचा लिया जाएगा। बच्चों की रिकवरी 40 फीसदी तेजी से होगी।
प्रोसेसिंग के दिन से छह माह तक उपयोग
मदर मिल्क बैंक इंचार्ज डॉ. सरिता काबरा ने बताया कि मदर मिल्क काे प्रोसेसिंग के दिन से छह माह तक उपयोग में लिया जा सकता है। निर्धारित तापमान में नहीं रहने के कारण मिल्क की गुणवत्ता खत्म हो जाती है।