नैनीताल – नैनीताल में मशरूम की खेती बन रही है रोजगार का साधन

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रिपोर्ट – कान्ता पाल/ नैनीताल – नैनीताल में उगाया जाने वाला मशरुम अब मीट और पनीर का विकल्प बनकर लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बनता जा रहा है । यहां बटन मशरुम, पुआल मशरुम, मिल्की मशरुम, सिटाके मशरुम, गुच्छी मशरुम, ऋषि मशरुम और ढींगरी मशरुम जैसे टेस्टी महत्वपूर्ण मशरूम उगाई जा रही हैं ।

नैनीताल के ज्यूलिकोट में लगे इस प्लांट में खाने वाले मशरूम की कई वैराइटी तैयार होती है । उत्तराखण्ड के पहाड़ो में सफलता के साथ उगने वाला मशरुम इंडो-डच मशरुम परियोजना के अंतर्गत सन 1991 से ज्यूलिकोट में शुरू हुआ था, जिसे अब राज्य सरकार का उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्कारण विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है । विभाग मशरूम उगाने वाले किसानों को कंपोस्ट खाद बनाकर मशरूम की खेती करने में मदद करते हैं । नीदरलैंड सरकार ने 90 के दशक में भारत सरकार को मशरूम बनाने की विधि सिखाई जिसके बाद लगातार मशरूम उत्पादन बढ़ते जा रहा है । ज्यूलिकोट प्लांट में कंपोस्ट खाद बनाई जाती है । इसके लिए विभाग के कर्मचारी पहले गेहूं के भूसे को भिगाकर उसमें चिकेन मैन्युअल(बीट)और जिप्सम मिलाते हैं। इसके बाद इसे टनल में ले जाकर कंपोस्ट से मिलाते हैं । कंपोस्ट की ढेरी के अंदर का तापमान 70 से 80 डिग्री रखा जाता हैै । फायर फंगस दिखने के बाद कम्पोस्ट अच्छी मानी जाती है । खाद तैयार होने के बाद एच.डी.बी.बैग में रखी जाती है । इस कम्पोस्ट की कीमत 8400 रुपये प्रति टन होती है जबकी सरकार अपने किसानों को इसे महज 4200 रुपये में दे देती है । कुमाऊ के छह जिलों के साथ गढ़वाल के भी दो जिलों में खाद सप्लाई की जाती है । काश्तकारों को सरकार इस खाद के ट्रांसपोर्ट में भी 50 प्रतिशत की सब्सिटी देती है ।

सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए सात, तीन और एक दिन का ट्रेनिग कैम्प लगाती है । गर्मियों में मशरुम एक से दो दिन चलता है, जबकी जाड़ों में चार से पांच दिन चलता है । मशरुम का उत्पादन मैदानी क्षेत्रों में 15 अक्टूबर से 15 मार्च और पर्वतीय क्षेत्रों में 15 सितंबर से मई जून माह तक हो जाता है । एक टन कम्पोस्ट खाद में 6 किलो बीज लगाए जाते हैं ।

मशरुम का सरकारी रेट 100 रुपया प्रति किलो है जाबकी बाजार में 200 से 250 रुपया प्रति किलो तक बिकता है । विभाग के निदेशक ने बताया कि जो पहली बार मशरुम बेचता है उसे 10 बाई 10 के कमरे में 7000 रुपये का खर्चा आता है । तीन माह में इनमें लगभग 1.8 से दो कुंटल तक मशरुम होगा और इसकी कीमत बाजार में 20 हजार रुपये हो जाएगी । कमरे का साइज बढ़ने के साथ आमदनी भी बढ जाएगी । पिछले वर्ष कुमाऊ में 103 लोगों को 128 टन कंपोस्ट खाद देकर फायदा दिया है । मशरूम को बेहद ही पौष्टिक माना जाता है । इसमें
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण, पानी, राख(एश)फाइबर एवं दूसरे जरूरी तत्व पाए जाते हैं ।