नैनीताल – फेसबुक के मालिक और एप्पल के संस्थापक भी भक्त हैं कैची धाम के

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रिपोर्ट – कान्ता पाल/ नैनीताल – उत्तराखण्ड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां कण कण में बसे देवताओं पर ना सिर्फ देश भर के लोगों की आस्था है बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी सिर यहां झुके हैं। नैनीताल में भी एक ऐसे ही बाबा का दरबार है जहां से प्रेरणा लेकर कई लोगों ने मुकाम हांसिल किया है। 15 जून बाबा का स्थापना दिवस पर श्रद्धालुओ का तांता लगा है श्रद्धालु कतारों में बाबा के दर्शन करने के लिए अपनी बारी का इतंजार करते नजर आए।
नैनीताल का कैंची धाम में भक्तों की भीड़ जुटनी शुरु हो गई है। 15 जून को देश भर से बाबा नीब किरौरी के भक्त नैनीताल में इस धाम में आकर जरुर मत्था टेकने पहुंच रहे है। यहां आने वाले भक्तों की संख्या पिछले कुछ सालों में अचानक तब बढने लगी जब फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग  ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि इस मन्दिर से उन्हे प्रेरणा मिली, इतना ही नहीं इस मन्दिर से एप्पल के संस्थापक स्टीब जाब्स भी अपनी तकदीर बना चुके है। यहां हर साल देश भर के भक्तों का तांता तो लगता ही है विदेशी  श्रद्धालुओ का भी ये आस्था का केन्द्र है। विदेश भक्तों के आध्यात्म गुरु रामदास ने भी इसी मन्दिर में आकर मत्था टेका, इस धाम की मान्यता इतनी ज्यादा है कि हर कोई बाबा नीब किरौरी के दर्शनों के लिये यहां पहुंचते हैं , जो कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं । बाबा नीब किरौरी के इतने चमत्कार हैं कि हर कोई यहां आकर जरुर मत्था टेकने पहुंचता है।
इस मंन्दिर की स्थापना के बारे मे  विनोद जोशी पुजारी ने बताया कि कैची के धर्मानन्द तिवाडी नैनीताल से घर लौट रहे थे रास्ते में उनको काफी देर होने से भूत का डर सताने लगा था। रास्ते में बाबा कम्बल ओडे मिले और कहा कहां जाना है आपको अभी गाडी मिल जायेगी। डरते हुये जब धर्मानन्द ने ये पूछा की बाबा अब कब दर्शन होगें तो बाबा 20 साल बाद कहकर ओझल हो गये। जब बाबा 20 साल बाद रानीखेत से लौट रहे थे तो तिवाडी परिवार ने बाबा नीब करौरी को नही पहचाना। जिसके बाद बाबा ने 20 साल पूरानी कहानी सुनाई और इस स्थान पर मंन्दिर निर्माण करने की बात कही तब से हर साल यहां 15 जून को बाबा नीब करौरी की स्थापना दिवस भी मनाया जाता है, तो साल भर यहां देश भर से लोगों का आना जाना लगा रहता है। इसे बाबा का ही चमत्कार कहेंगे की आज भी यहां दर्शनों के लिये हजारों लोग पहुंचते है। इस मन्दिर से ना सिर्फ देश के  श्रद्धालुओं की मुराद पूरी हुई बल्कि विदेशी भक्तों को भी इसी स्थान से कामयाबी का रास्ता भी मिला है।