फसल कटाई के बाद फानों में आग ना लगाने के लिए कृषि विभाग ने विशेष अभियान शुरू कर दिया

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करनाल – फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला के कृषि विभाग ने मंगलवार से एक विशेष अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत दो प्रचार वाहन गांव-गांव जाकर किसानो को फसल अवशेष ना जलाने के लिए जागरूक करेंगे। उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने उप कृषि निदेशक के कार्यालय से हरी झण्ड़ी दिखाकर वाहनो को रवाना किया। लाऊड स्पीकर लगे वाहन रिकॉर्डिंग के जरिए गांव में जाकर फसल अवशेष जलाने के नुकसान, ना जलाने के विकल्प एवं फायदे तथा दोषी व्यक्तियों के लिए जुर्माने और सजा के प्रावधान बारे जागरूक करेंगे। वाहन के साथ गए कर्मचारी उपरोक्त अपील के पैम्फलेट भी बांटेगे। वाहन पर तीन साईडो में किसान भाईयों के लिए अपील लिखे फ्लैक्स बोर्ड भी लगाए गए हैं, यह वाहन जिला के सभी गांव कवर करेंगे।
इस अवसर पर उपायुक्त ने जानकारी दी कि फसल कटाई के बाद किसानो को खेतो में बचे अवशेष या फानो को आग नही लगानी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। दोषी व्यक्ति को एकड़ के हिसाब से 2500 रूपये से लेकर 15 हजार रूपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। यही नही एफ.आई.आर. दर्ज होने के बाद 6 महीने से एक साल की सजा का प्रावधान भी है। उन्होने कहा कि जिला के सभी गांव में ग्राम सचिव व पटवारी को जिम्मेदारी दी गई है कि वे अवशेष या फानो को आग लगाने वाले की सूचना जिला प्रशासन को दें, ऐसी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम से भी दी सकती है। होता। उन्होने कहा कि खेतो में बचे फसल अवशेषों को आग ना लगाने के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायतो को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
 उपायुक्त ने बताया कि फसल कटाई के बाद खेतो में बचे अवशेषों को ना जलाया जाए। इसके कई ओर विकल्प भी हैं। अवशेषो को आधुनिक कृषि यंत्रो जैसे हैप्पी सीडर, मल्चर, रिवर्सिबल प्लो, स्ट्रा चोपर, स्ट्रा रिपर, रिपर बाइन्डर तथा रोटावेटर से जमीन में ही दफन कर सकते हैं। इससे खेतो को प्राकृतिक खाद भी मिल जाती है। इनके यंत्रो के प्रयोग और उपलब्धता के लिए किसान, कृषि विभाग या कृषि अधिकारी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उप कृषि निदेशक प्रदीप मिल ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रत्येक गांव में गोष्ठी का आयोजन जारी है, अब तक 215 गांवो में गोष्ठियां की जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त तीन जिला स्तरीय किसान सम्मेलन तथा 13 खण्ड़ स्तरीय मेलो का भी आयोजन किया जा चुका है, 12 फार्मर साईन्टिस्ट इंटरएक्शन प्रोग्राम भी आयोजित किए गए हैं। इनके माध्यम से अब तक करीब 15 हजार किसानो को फसल अवशेष प्रबंधन तथा फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानो के प्रति जागरूक किया गया है। उन्होने बताया कि खेतो में बचे अवशेषो को जलाने के दोषी व्यक्तियों से अब तक 4 लाख का जुर्माना वसूल किया गया है तथा 172 एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं। उन्होने बताया कि फसल अवशेष प्रबंध के कई फायदे हैं, इससे भूमि का उर्वरा शक्ति बनी रहती है तथा उपयुक्त समय पर बिजाई संभव होती है। पानी की बचत तथा रसायनिक खादों के प्रयोग में भी कमी आती है। एयर पॉल्यूशन नही होता, जिससे हमे शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है और दमा व कैंसर जैसी बीमारियों का प्रकोप भी नही होता।
फोटो कैप्शन:- उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया, कृषि विभाग के प्रचार वाहन को हरी झण्ड़ी दिखाकर रवाना करते हुए।