सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को भेजा जेल, अदालत की अवमानना का दोषी माना

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नई दिल्ली – चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस कर्णन पर बड़ी कार्रवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन को अदालत, न्यायिक प्रक्रिया और पूरी न्याय व्यवस्था की अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई है। जस्टिस कर्णन भारतीय जुडिशल सिस्टम के इतिहास में पहले ऐसे जज होंगे, जिन्हें पद पर रहने के दौरान जेल भेजे जाने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को ये निर्देश दिया है कि वो टीम बनाकर जस्टिस कर्नन को हिरासत में लें और जेल भेजें.सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आदेश का तुरंत पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में जस्टिस कर्णन के बयानों को मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर भी रोक लगा दी है। खेहर की अगुआई वाली बेंच ने वेस्ट बंगाल के डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह कर्णन को कस्टडी में लेने के लिए कमिटी गठित करें।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच का आदेश दिया था, लेकिन जस्टिस कर्नन ने जांच से मना कर दिया. उल्टा सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कुछ अजीब आदेश जारी कर दिए. जस्टिस कर्नन सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ एक के बाद अपनी सीमा लांघ कर आदेश दिए तो आखिरकार अब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है.

देश के न्यायिक इतिहास में ये पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के किसी जज के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की है. जस्टिस कर्नन ने प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में बीस सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई किए जाने की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के इस तरह के खत और अलग-अलग जगह पर दिए गए उनके बयानों का स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. जमानती वारंट जारी होने के बाद जस्टिस कर्नन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश भी हुए थे. कोर्ट ने उन्हें एक मौका देते हुए चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा था.