करनाल -महिलाओं के संवर्धिनी समागम में भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका पर हुआ विशाल सम्मेलन का आयोजन

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करनाल – भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका, उनकी स्थानीय समस्या, स्थिति एवं समाधान को लेकर करनाल के सेक्टर 14 स्थित कृष्णा मंदिर में विशाल महिला सशक्तिकरण सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें करनाल कुरुक्षेत्र और कैथल जिले की करीब 2 हजार महिलाओं ने भागीदारी की। संवर्धिनी समागम के नाम से आयोजित इस महिला सम्मेलन की अध्यक्षता प्रमुख समाजसेवी बेला भाटिया ने की जबकि भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान निर्मल तंवर और करनाल महिला थाना की प्रबंधक पवना देवी ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। आए हुए सभी अतिथियों काआयोजकों द्वारा श्रीफल और शाल देकर सम्मान किया गया। आयोजकों द्वारा श्रीफल और शाल देकर सम्मान किया गया।
महिला समन्वय कार्यक्रम की विभाग संयोजिका सीमा गुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज और देश के विकास में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाना और महिलाओं के प्रति जो भारतीय दृष्टि है, उसे समाज के निचले स्तर तक पहुंचाना है। उन्होंने यह भी बताया की महिला सम्मेलनों में मुख्य रूप से तीन विषय शामिल किए गए हैं जिनमे पहला, भारतीय चिंतन में महिला दूसरा, महिलाओं की स्थानीय समस्या स्थिति एवं समाधान और तीसरा, भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका।
कार्यक्रम की अध्यक्ष बेला भाटिया ने अपने संबोधन में कहा कि  भारत में नारी को सदैव सम्मान दिया गया है। यहां तक कि वेदों में भी ऐसी अनेक महिला विभूतियों का वर्णन है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्धि पाई। विवाह संस्कार में बोले जाने वाले मंत्र भी एक महिला ऋषिका सूर्य सावित्री द्वारा रचे गए हैं। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति की ऊर्जा से ही सृष्टि बनी है। उन्होंने अपने वक्तव्य में वैदिक काल से आधुनिक काल तक की नारियों की विशेषता बताई।


दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो मनु शर्मा कटारिया ने कहा कि महिलाएं स्वयं ऊर्जावान हैं, बस उन्हें केवल अवसर देने की आवश्यकता है। बच्चों को संस्कार देने की सबसे पहली पाठशाला बच्चों की मां होती है। ऐसे में उसे पर बच्चों को संस्कारित करने की एक बड़ी जिम्मेदारी है। संस्कार के बिना भारत के उज्जवल भविष्य की कल्पना करना मुश्किल है। महिलाओं को यह तय करना होगा कि बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सशक्त होना चाहिए ताकि वह आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान निर्मल तंवर भाटी ने कहा कि महिलाओं को सर्वप्रथम अपनी सामर्थ्य व क्षमता को पहचानना है तथा सही दिशा में अग्रसर होना है। उन्होंने कहा कि कुरीतियों और आडंबरों में समयानुकूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है। आज हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में प्रगति कर रही हैं। महिलाएं राष्ट्रपति, मंत्री, मुख्यमंत्री हैं। महिला खिलाड़ी देश के लिए पदक जीत रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत के बारे में यह प्रसारित किया जाता है कि यहां महिलाओं को कोई अधिकार नहीं है। यह ठीक नहीं है।
समापन सत्र की मुख्य वक्ता निशा राणा ने कहा कि महिलाये भारतीय संस्कृति की राजदूत हैं। उन्होंने कहा कि भारत में एकल परिवार की कभी संरचना नहीं रही। यहां तो परिवार का मतलब संयुक्त परिवार था। विदेश में ही व्यक्तिवादी परंपरा है। लव जिहाद, लव इन की बीमारी बच्चों में बिना संस्कार के कारण आती है। जहां परिवार संयुक्त परिवार होता है वहां निरंतर संवाद बना रहता है। ऐसे में बच्चों को अपने गौरवपूर्ण इतिहास और महापुरुषों के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेल्फ मेड कुछ नहीं होता। परिवार और शिक्षकों के कारण व्यक्ति निर्माण होता है। परिवार को संभालने वाली एक महिला ही है। महिला परिवार की एकता की धुरी है। विदेशों में अकेलापन समाज को निगल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाओं को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है पुरुष से पहले महिला का नाम लिया जाता है।
राष्ट्र सेविका समिति उत्तर भारत की संयोजिका चंद्रकांता ने कहा कि हमारे देश में महिलाओं को विशिष्ट दर्जा प्राप्त है। हमने तो भारत को भी एक माता माना है और महिला के रूप में उसकी कल्पना की है।
समापन सत्र की मुख्य अतिथि करनाल महिला थाना की प्रबन्धक पवना देवी ने कहा कि कोई काम हमारे से दूर नहीं है। चुनौतियां हर कदम पर होती हैं लेकिन चुनौतियों का हम परिवार के साथ रहकर सामना कर सकती हैं। अपने जीवन के संस्मरणों के बारे में उन्होंने बताया कि मेरे परिवार में सभी ने मना किया की पुलिस की नौकरी में नहीं जाना चाहिए, यह महिलाओं का क्षेत्र नहीं है।मैं जबरदस्ती पुलिस विभाग में भर्ती हुई। लड़कियां आज किसी से भी कम नहीं है। लड़कियों से भेदभाव हम खुद करते हैं और समाज करता है। महिलाएं ही समाज है। बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करो, लड़कियों से बातचीत करो। जब हम बच्चों से दूर रहेंगे तो बच्चे गलत रास्ते पर ही चलेंगे। हमें सबसे पहले जानकार बनना होगा तभी हम अपने बच्चों को और परिवार को कुछ सीखा पाएंगे।
विशिष्ट अतिथि गीता बंसल ने कहा कि भारत में नारीवाद जैसी परिकल्पना कभी नहीं रही। हम सभी भारतीय जीवन पद्धति व भारतीय जीवन मूल्यों में विश्वास रखते है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में बहुत समय तक यह बहस चली कि स्त्री में आत्मा है या नहीं। इस भेदभाव के कारण स्त्री आंदोलन हुए, जिनमें बराबरी की मांग की गई। इस्लामिक आक्रमणों के दौरान भारतीय समाज में भी कई विकृतियां आईं। सती प्रथा, बाल विवाह, रात में विवाह, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि इसी के परिणाम हैं, लेकिन अब समय बदल चुका है। स्त्रियां हर क्षेत्र में बड़ी भूमिकाएं निभा रही हैं।

गौरतलब है कि सम्मेलन के लिए महिला समन्वय की ओर से 10 श्रेणियां निश्चित की गई। पहली श्रेणी में स्वयंसेवी संस्थाएं चलाने वाली महिलाओं को रखा गया। दूसरी श्रेणी में सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं में कार्यरत महिलाएं तथा तीसरी श्रेणी में मीडिया जगत की महिलाएं शामिल रही। चौथी श्रेणी में वे महिलाएं थी जो विभिन्न जाति-बिरादरी से जुड़ी संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। पांचवीं श्रेणी में लायंस क्लब, रोटरी क्लब और इनरविल क्लब से जुड़ीं महिलाओं को रखा गया है। छठी श्रेणी में शिक्षा और प्रशासनिक सेवा में कार्यरत महिलाएं शामिल हैं। सातवीं में ग्राम पंचायत में सक्रिय रहने वाली महिलाओं को स्थान दिया गया। आठवीं में विभिन्न जाति और जनजाति की प्रमुख महिलाएं रही। नौवीं में वकील, डॉक्टर, वैज्ञानिक, खेल, व्यवसाय आदि से जुड़ी महिलाएं एवं दसवीं श्रेणी में समाज पर विशेष प्रभाव डालने वाली लेखिका, पत्रकार और अन्य प्रभावशाली महिलाओं को रखा गया।

इस अवसर पर बच्चों द्वारा भारत की संस्कृति पर आधारित मनोरंजक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। मंच का संचालन सेवा भारती की कार्यकर्ता प्रीति कुकरेजा और अनु कामिनी ने किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में आई महिलाओं के बीच प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी आयोजित हुआ जिसमें विभिन्न जिलों से आई महिलाओं ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी समस्याएं और सुझाव प्रस्तुत किये। वैशाली खेड़ा और तारा देवी ने महिलाओं के प्रश्नों के जवाब दिए। महिला स्वास्थ्य पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। हमारी सुबह गर्म पानी और योग से शुरू होनी चाहिए।
महिला सम्मेलन में एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें  राज्य की प्रेरक महिलाओं के बारे में बताया और उनके बनाये उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। सम्मेलन में कुटुंब प्रबोधन और महिलाओं से जुड़ी सम्मेलन में एक पुस्तिका भी वितरित की गई। इसमें महिलाओं से जुड़े कानूनों की जानकारी के अलावा महिलाओं से जुड़ी सरकारी योजनाएं, कुछ महिला विभूतियों के विचार, महिलाओं की समस्याएं और 80 ऐसे कार्यों की सूची भी शामिल है, जिसे कोई भी कर सकता है। सम्मेलन के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महिलाओं की प्रतिभा की झलक दिखाई दी। महिलाओं द्वारा बनाये गए उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई l