करनाल -सत्या फाउंडेशन द्वारा “वर्ल्ड स्पैरो डे” का आयोजन

0
84

करनाल -कभी हर मुंडेर और आंगन में दाना दिखते ही आ जाने वाली गौरेया अब नहीं दिखती। परिवार के सदस्य जैसी रहने वाली गौरेया आज खत्म हो जाने की कगार पर है। गौरैयाओं की लगातार घटती संख्या को देखते हुए इनको बचाने की एक मुहिम के तहत गौरैयाओं के लिए भी एक दिन बनाया गया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् मो. ई. दिलावर के प्रयासों से इस दिवस को चुलबुली चंचल गौरैया के लिए रखा गया। 2010 में 20 मार्च को ‘वर्ल्ड स्पैरो डे’ घोषित किया गया।

करनाल में सत्या फाउंडेशन संस्था के युवा साथियों द्वारा पिछले कई सालों से पर्यावरण के अलग-अलग सेगमेंट जैसे जल संरक्षण, पशु पक्षी संरक्षण, पोधारोपन के बाद मुरझाए पोधों की जगह नये पोधे लगाने व उनकी देखभाल आदि अनेक कार्य किये जा रहें है। कर्ण लेक पर पक्षियों को रोकने के लिए बनाये जाल को हटाने के सफल अभियान से लेकर से युवा पशु पक्षियों के विभिन्न प्रोजेक्ट पर समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। ये संस्था पिछले कई वर्षों से गौरिया (चिड़िया) के संरक्षण पर भी काम कर रही है।

इन युवाओ ने गौरिया (चिड़िया) के संरक्षण के लिए पिछले 3 वर्षों से करनाल व आसपास के शेत्रों में रिहायशी मकानों, पार्कों, मंदिरों, फैक्ट्री, जी टी रोड स्थित प्रसिद्ध रेस्टोरेंट्स आदी अनेक जगह पर 400 से अधिक मजबूत लक्कड़ से बने घोंसले व बर्ड फीडर लगा गए हैं। चूंकि, लक्कड़ के घोंसले बनाने की लागत अधिक होती है व इसे बनाने में अधिक समय लगता है इसलिए काफी शोध के बाद गौरिया के अनुकुल 600 से अधिक किफायती घोसले बनवाकर शहर में अलग अलग जगह पर बांटे गए। ये लोग इस वर्ष इन घोसलों की संख्या को कम से कम 2100 तक लेकर जाने के प्रति आशावान हैं। अपने प्रोजेक्ट “लोट आओ गौरिया” के तहत संस्था द्वारा 20 मार्च को ‘वर्ल्ड स्पैरो डे’ मनाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन शाम नगर करनाल में किया गया।

मुख्यमंत्री हरियाणा के विधानसभा प्रतिनिधि  संजय बठला इस आयोजन के मुख्यातिथि थे  । इस अवसर पर उन्होंने कहा की जहां चिड़िया आज देखने को नहीं मिलती वहीं शाम नगर के गौरिया एंक्लेव में लगभग हर घर पर चिड़िया के घोंसले व फीडर लगे हुए और चिड़िया का उनमे होना बहुत सुखद अहसास कराता है। उन्होंने कहा बहुत अरसे बाद चिड़िया की चीं – चीं, चूँ- चूँ व अठखेलियों ने बचपन की यादें ताजा कर दी।

आमजन को गौरिया (चिड़िया) के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम मे न केवल गौरिया के लुप्त होने पर चिंता जाहिर की गयी बल्कि उनके संरक्षण के विभिन्न उपायों पर भी चर्चा की गयी। बच्चों ने गौरिया व पर्यावरण से सम्बंधित कवितायें सुनाकर उपस्थित लोगों के मन में गौरिया के प्रति न केवल संवेदना बलिक उनके संरक्षण के लिए संकल्प लेने के लिए भी प्रेरित किया। डॉ सोनिया की “तुम बहुत याद आती हो गौरैया…” व श्रीमती सुरेखा की  “राह ताकता है घर,लौट आओ गौरैया” आदि कविताओं पर श्रोताओं ने खुलकर प्यार लुटाया।

उपस्थित लोगों व बच्चों के मन में गौरैया और पक्षियों के लेकर काफी जिज्ञासाएं थीं, जिनका समाधान “लोट आओ गौरिया” अभियान के प्रकल्प प्रमुख नविन वर्मा व संदीप नैन ने किया। बच्चों ने गौरैया क्या खाती है, कहां रहती है, सबसे बड़ा पक्षी कौन सा है, छोटा पक्षी कौन सा है, पेंग्युइन पक्षी है या मेमल्स जैसे कई सवाल पूछे। बच्चों ने हवाई जहाज की तकनीक के पक्षियों से प्रभावित होने के बारे में भी जानकारी ली। वहीं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने घर में अपने बुजुर्गों द्वारा पक्षियों के लिए दाना-पानी डालने के अनुभव भी सुनाए। इस अवसर पर पक्षियों से जुड़े रोचक तथ्य बताने के साथ गौरैया के लिए दाना डालने, नेस्ट बॉक्स बनाने की जानकारी दी।

अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी खिलाडी रिधि फोर ने उपस्थित लोगो को पक्षियों के बारे महत्वपूर्ण जानकारी साँझा की और अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने प्लास्टिक से होने वाली पशुओं की मोंतों का जिमेवार बताया। रिधि फ़ोर ने बच्चों को अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने का आह्वान किया।  इस अवसर पर मनोज फोर, राजेश भास्कर, हरप्रीत, पवन, रोहित , दवेंदर वर्मा, परवेश जोगी, मनोज  उपस्थित थे।