करनाल – लॉकडाउन ने हमें क्या क्या सीखा दिया

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रिपोर्ट -अनीता सिंह /करनाल- वैश्विक महामारी के समय जब कोई कहीं आना जाना नहीं कर पा रहा था और सब लॉकडाउन में अपने घरों में बंद थे l ऐसे समय में हमें लॉकडाउन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश और दुनिया में समय की सबसे बड़ी बचत करना सिखाया l  क्योंकि इधर उधर चाहे किसी को लोकल जगह पर जाना हो या देश विदेश में जाकर मीटिंग करनी हो वो घर पर बैठे ही हो गया l  सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा न करके तेल की बचत हुई l पैसा बचा और सबसे बड़ा काम पर्यावरण साफ हुआ l सरकारी हो या गैर सरकारी सभी ने इस डिजिटल तकनीक का सहारा ले कर अपना काम किया l

राजनितिक पार्टियां हो या संस्थाएं इसी माध्यम से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं l  सभी लोग इंटरनेट के माध्यम से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं  ताकि सोशल डिस्टैंसिंग भी बनी रहे और लॉकडाउन का पालन भी हो l  कोरोना संकट के दौर में काफी जरूरी कामों को डिजिटल तकनीक से ही निपटाया जा रहा है l  एक तरफ स्कूलों के बच्चों को डिजिटल तकनीक से शिक्षा दी जा रही है तो दूसरी तरफ प्रोफेशनल कोर्स की कक्षाएं इसी तकनीक के सहारे चल रही हैं l कोरोनावायरस महामारी के कारण पूरे विश्व में लॉकडाउन के बाद सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है तो ऐसे में ऑनलाइन डिजिटल मार्केटिंग कोर्स की डिमांड काफी बढ़ गई है।

लॉकडाउन में हम इच्छाओं आकाँक्षाओं को लॉक करके एक सीमित मर्यादा में लॉक होकर घर में बैठे रहे l कोरोना के समय स्वत: ही ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि हम आध्यात्मिक पहलू से तो जुड़े पर हमने भौतिकता का त्याग भी किया l  यद्यपि कोरोना काल में हमने अपने ऊपर भी ध्यान केंद्रित किया जिससे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार हुआ जो हम रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में कभी नहीं कर पाते थे l लॉकडाउन में सरकारी लोगों और निजी व्यवसाय से जुड़े लोगों के जीवन में भिन्नता पाया जाना स्वाभाविक था क्योंकि व्यवसाय बंद होने से उन्होंने सीखा कि जिन गैर उपयोगी चीज़ों को भी हम बाजार से खरीद कर घर भरते थे उन्हें न खरीदकर पैसे की बचत भी की l बच्चों ने जंक फूड के बिना रहना सीखा तो घर की बनी शुद्ध चीज़ें खाई l सोशल मीडिया पर देखा कि काफी लोगों ने अपने अंदर की कला को जगाया , पुराने पेंडिंग काम पूरे किये किसी ने बताया कि इस लॉकडाउन में उनकी काफी समय से अधूरी लिखी पड़ी किताब पूरी हो गई l सड़कों पर सुनसान होने से हमने शांति के एहसास को जाना तो विपत्ति में धैर्य और संयम रखना भी सीखा l लॉकडाउन में महिलाओं के अलग अलग अनुभव रहे किसी ने अलग अलग तरह से खाना बनाना सीखा तो किसी ने कपड़े सीना l
लॉकडाउन में भीड़ घरों में दुबकी थी तो पशु पक्षी सड़कों पर उतरते दिखे l पवित्र नदियां साफ हो गई , हवा शुद्ध हो गई तो आसमान में तारों की चादर भी चमकती नज़र आई यानि अद्भुत बदलाव से प्रकृति, पर्यावरण की रक्षा कैसे हो सकती है ये भी सीखा l ये सभी चीज़ें हमें सबक सिखाती हैं कि इस समय से प्रेरणा लें l

हालाँकि लॉकडाउन में सभी के जीवन में जन-धन की अपूरणीय क्षति हुई है, लेकिन फिर भी हमने पाया कि पाश्चात्य देशों की अपेक्षा भारत के लोगों में  विपत्ति को बेहतर तरीके से संभाल सकने की क्षमता है l हमें इन्ही हालात से प्रेरणा लेकर इन तकनीकों को लॉकडाउन के बाद भी अपनाना चाहिए ताकि पर्यावरण सुरक्षित होगा तो जीवन सुरक्षित होगा l