Nainital – प्रवासियों की जाँच बॉर्डर पर किये जाने पर हाई कोर्ट ने दिये निर्देश

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रिपोर्ट -कांता पाल / नैनीताल -नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड आ रहे प्रवासियों की जाँच बॉर्डर पर किये जाने और मेडिकल स्टाफ को पीपीई किट व अन्य सुविधाएं दिए जाने के सम्बंध में दो अलग अलग जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि अन्य राज्यों से उत्तराखंड में आने वाले लोग जो रेड जोन से आ रहे हैं उन लोगों को राज्य के बॉर्डर पर संस्थागत कोरेंटिन किया जाए और साथ में उनकी कोरोना टेस्टिंग भी कराई जाए। साथ ही राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए है कि  ऐसे सभी लोग जो अन्य राज्यों से प्रदेश में आ रहे हैं लेकिन उनके अंदर किसी प्रकार के कोरोना संबंधी लक्षण पाए जाते हैं तो उनको बॉर्डर पर ही एक सप्ताह का संस्थागत क्वेरेन्टीन किया जाए और निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही राज्य में आगे जाने दिया जाय।आज सुनवाई के दौरान आईसीएमआर द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि एलिजा टेस्ट किट व आरटीसीटीपी किट जल्द राज्यो को उपलब्ध कराए जा रहे है।

साथ ही दूसरी जनहित याचिका में  राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया कि सभी अधिकृत  अस्पतालों में पूर्व के आदेशों के क्रम में आईसीयू व वेंटिलेटर संचालित कर दिए गए हैं और अन्य जगह भी ये सुविधा जल्द उपलब्ध करायी जाएगी। सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव नितेश झा और महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ अमिता उप्रेती भी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कोर्ट के सामने उपस्थित हुए। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति  सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति रविंद्र मैथानी की खंडपीठ में हुई मामले की अगली सुनवाई 2 जून की तिथि नियत की है।

आपको बता दे हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल व अधिवक्ता दुष्यन्त मैनाली ने अलग अलग जनहित याचिकाएँ दायर कर कहा है कि राज्य में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल स्टाफ के कर्मचारियों कर पास पीपीई किट व अधिकृत हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नही है । डबराल की जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में आने वाले प्रवासियों  की कोरोना वायरस की जाँच बॉर्डर पर ही की जाय और उनकी सहायता की जाय और उनके खाने पीने की भी उचित व्यवस्था की जाय जिससे कि वायरस को फैलने से रोका जा सके।