Nainital:नैनीताल में उच्च स्तरीय पांडुलिपि संरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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रिपोर्ट – कान्ता पाल/नैनीताल -नैनीताल में भारतीय इतिहास और संस्कृति की विरासतों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि आने वाले समय मे लोगो को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराया जा सके,हिमालयन सोसाइटी फार हैरिटेज एण्ड आर्ट कंजरवेशन रानीबाग नैनीताल द्वारा 30 दिवसीय उच्च स्तरीय पांडुलिपि संरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन नैनीताल में किया जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय स्तर के पांडुलिपि संरक्षण केन्द्रो से 25 प्रतिभागी जो कोलकाता बिहार महाराष्ट्र असम दरभंगा राजस्थान देवप्रयाग उत्तराखंड मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर के प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहें है,पाण्डुलिपि प्राचीन काल का हाथ से लिखा गया ग्रन्थ है जो कई भाषाओ के साथ साथ वेदों, बालकथाओं, संस्कृत, खगोल विज्ञान, ज्योतिष, गणित शास्त्र आयुर्वेदा, यूनानी औषधियों के ज्ञान के विद्यमान है जिसमें भूतकाल, भविष्य काल के साथ साथ इतिहास की जानकारी है, जिनमें हजारों लाखों सालों के कई राज भी छुपे है, अब तक कई पाण्डुलिपियों को पढा तक नही जा सका है, महाराष्ट्र से भी कई प्रकार की पांडु लिपियां को लाया गया है जो लगभग ढाई सौ वर्ष पुरानी है, जो कभी भी नष्ट हो सकती हैं l

अनुपम साह, पाण्डुलिपि विशेषज्ञ ने बताया ,कार्यशाला में आसाम से भी पाण्डुलिपि लायी गई हैं ये सभी पाण्डुलिपि विशेष प्रकार के कागज से बनी हुई है जो विश्व में केवल असम में पाई जाती हैं। जो सांची पार के पेड़ से बनाए जाते हैं आपको बता दें कि इस पेड़ की एक विशेषता और है जब इस पेड़ में फफूंदी लगती है तो उसकी खुशबू से पूरा गांव महक जाता है। इस पेड़ से इत्र भी निकाला जाता है। सांची पार के पेड़ की छाल से बने कागज पर लिखी सैकड़ों साल पुरानी पाण्डुलिपि की सुरक्षा के लिए लाया गया है। साथ ही इस प्रकार की अन्य पाण्डुलिपि के संरक्षण करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे हमारे देश के महत्वपूर्ण दस्तावेजों का संरक्षण हो सके।