एक था निर्मल गाँव

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सुमित / पानीपत – आज जब हम गाँवों  की बात करते हैं तो पढ़ी लिखी पंचायत की तस्वीर सामने आती हैं। अगर कोई गांव राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुआ हो तो यह समझा जा सकता हे की उस गाँव की व्यवस्था हर तरीके से चाक चौबंद होगी। जी हाँ इस गाँव को पानीपत जिले के पहले और हरियाणा में दूसरे नंबर पर आये निर्मल गांव का सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ उसके बाद नीदरलैंड के प्रिंस प्रभावित होकर गांव का दौरा करने आये  तो ग्रामीण अपने आप को गौरवान्वित  महसूस करने लगे , स्वभाविक है वह गांव खास हो जाता है। 2007 में मिले भारत के राष्ट्रपति के हाथो निर्मल गाँव पुरस्कार के  बाद आज यह बिलासपुर गाँव बदहाल व्यवस्था का शिकार हो गया।

पानीपत जिले के समालखा ब्लॉक का बिलासपुर गांव जोकि 2007 में राष्ट्रपति ऐ पी जे अब्दुल कलाम के हाथों  निर्मल गांव पुरस्कार से सम्मनित हुआ । नीदरलैंड के प्रिंस जब भारत के दौरे पर आये और पानीपत पहुंचे तो स्थानीय प्रशासन ने प्रिंस को गाँव का दौरा करवाया तो ग्रामीणों को लगा अब गाँव में और ज्यादा विकास होगा हुआ उसके उल्ट , 10 साल बीत जाने के बाद आज इस गांव के निवासी कई सुविधाओं से वंचित हैं और उन्हें इंतजार है कभी तो हमारी गांव की समस्या का समाधान होगा कभी तो वह दिन आएगा जब हमारी बेटियों  को बाहर पढ़ने के लिए नही जाना पड़ेगा चिकित्सा  की सुविधा हमारे गांव में ही मिलेगी , बल्कि इस समय पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा दिखता है गाँव में।

बिलासपुर गांव को  2007 में हरियाणा का दूसरा जिले का पहला निर्मल गांव होने का गौरव मिला ।जिससे ग्रामीण बड़े खुश थे कि उस समय बिलासपुर गांव में सभी घरो में शौचालय बने और यह गांव देश के दूसरे गांव के लिए भी उदाहरण बना इस गांव की ख्याति दूर दूर तक गई जिसके चलते नीदरलैंड के प्रिंस विलियम एलेग्जेंडर गांव पहुचे किसी विदेशी का निर्मल गांव में पहुचना यह वास्तव में ग्रामीण वासियो के लिए गौरव की बात थी और प्रिंस ने गांव के सरपंच को ट्रॉफी देकर सम्मानित भी किया था ।लेकिन यह दुर्भगय कि बात हैं कि आज इस गांव में शिक्षा ,स्वस्थ्य व जल प्रतिदिन प्रोयग में आने वाली जरूरतों की कमी हैं ग्राम वासियों का कहना है कि अब यह गांव निर्मल गांव जैसा नही रहा,  जैसे पहले था वैसे ही बदहाल हो गया है l ग्रामीणों का कहना है कि गांव की चौपाल पिछले कई वर्षों से बंद पड़ी है चौपाल में जाले लग चुके हैं वहां गाँव की महिलायें  गोबर के उपले बनाकर रख रही हैं। सफाई नाम की चीज नहीं है गाँव के चारो तरफ बदहाली का आलम है।

2005 से 2010 तक बिलासपुर के  सरपंच रहे सूरत सिंह कहते  हैं कि हमारे गांव को 2005 में निर्मल गांव घोषित किया गया 2007 में स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति अवार्ड से मनोनीत किया गया यहां तक कि नीदरलैंड के प्रिंस चार्ल्स अलेक्जेंडर गांव को स्पेशल देखने के लिए आज उस गांव का यह हाल है कि यहां पर कोई  सरकारी अस्पताल हो, शिक्षा का क्षेत्र हो या सफाई की हम बात करें या पशुओं के लिए अस्पताल हो सब दिखावा दिखाई देता है गाँव में पांचवी तक का प्राइमरी स्कूल है l  शिक्षा के लिए 5वीं  के बाद पढ़ाई के लिए बच्चियां दूर शहरों में जाती हैं  l

बिलासपुर गांव के मौजूदा सरपंच जयबीर  का कहना है कि  सरकार से कोई ग्रांट नही आ रही हैं जिससे गांव में काम करने से समस्या आ रही है उनका कहना है  कि  गांव का लोग अगर साथ दें  तो दुबारा से निर्मल गांव का सम्मान बरकरार रह सकता हैं लेकिन गांव के लोग साथ नही दे रहे हैं गांव की कोई आय का साधन नही हैं गांव की पंचायती जमीन पर भूमाफिया  ने कब्जा किया हुआ है l  उच्च न्यायालय में केस चल रहा है पंचायती जमीन कब्जाधारियों से छूटने के बाद ही गाँव की आमदनी का कोई साधन बन सकता है।

अतिरिक्त उपायुक्त राजीव मेहता निर्मल गांव की योजनाओं पर बात को टालते नजर आए और स्वच्छता  पर बोले ओडीएफ स्कीम और स्वच्छता में अंतर् समझना होगा गाँव को स्वच्छ रखना सभी की नैतिक जिम्मेवारी हैं।