कुल्लू (हि०प्र०) – बूढ़ी दिवाली’ मेले की प्रथम सांस्कृतिक संध्या रही हिमाचल के मशहूर कुल्लवी फोक गायक इंदरजीत के नाम

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रिपोर्ट-कौशल/निरमंड(कुल्लू) – निरमंड के ऐतिहासिक एवं प्राचीन ज़िला स्तरीय ‘बूढ़ी दिवाली’ मेले की प्रथम सांस्कृतिक संध्या मशहूर कुल्लवी लोक गायक इंदरजीत के नाम रही।कार्यक्रम के आयोजकों की लेटलतिफी के कि चलते इंदरजीत के देर शाम करीब सवा नौ बजे मंच सम्भालते ही पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।इस संध्या के मुख्य अतिथि आनी विधानसभा चुनाव क्षेत्र के विधायक किशोरी लाल सागर थे।देर आये-दुरुस्त आये की कहावत को चरितार्थ करते हुए लोक गायक इन्द्रजित ने अपने पौने घण्टे के अल्प समय में ऐसा समां बांधा की तमाम दर्शक झूम उठे,यहां तक की मुख्य अतिथि विधायक किशोरी लाल व मेला कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम चेत सिंह भी अपने कदम नहीं रोक पाए और मंच पर चढ़ कर इन्द्रजित के साथ खूब ठुमके लगाए।सर से पांव तक पूरी कुल्लवी पारम्परिक वेशभूषा में सुसज्जित हो कर इंदरजीत ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत बुधूआ मामा कुल्लबी पारम्परिक गाने से की,जिस पर दर्शकों ने जोरदार सीटियां व तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया।इसके बाद उन्होंने अपने प्रसिद्ध पारम्परिक गानों— हाड़े मामूआ,, साजा लागा माघेरा, मीठा वड़ा लागदा मेरी झुरिऐ, तू एजी गरठे, वालूशाही ढोलकी रामा, लाड़ी शाऊंणिऐ, मेरी वालमा , दासी लाड़ीये चन्द्रूये, हमारे लागी विरशू झाच,काफल पौके वोदिऐ, दिल लाणा हो रीनू, वुट तसमे वोदिये, वाजी लोड़ी महाराज व कांगड़ी इत्यादि गानों की प्रस्तुतियों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया । सर से पांव तक लोक लुभावनी कुल्लबी पारम्परिक वेशभूषा पहने इंदरजीत ने अपनी एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी तथा बूढ़ी दिवाली मेले की इस पहली सांस्कृतिक संध्या को यादगारी बना दिया।

दूसरी ओर मेले के दौरान आज सुबह स्थानीय टिंयुं बाग में आयोजित बांड नृत्य व रामलीला मैदान में लगी स्थानीय लोगों की पारंपरिक नाटी व देवता ‘ढरोपु’ का मनमोहक नृत्य मेले में आए लोगों का विशेष आकर्षण के केंद्र रहे।