देश के 23 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौपेंगी केंद्र सरकार

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नयी दिल्ली – केंद्र सरकार देश के सबसे मशहूर रेलवे स्टेशनों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत इन्हें निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने की योजना बना रही है. इस योजना में इन स्टेशन को दोबारा विकसित करने की भी योजना है. पत्रिका डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए 28 जून को ऑनलाइन नीलामी का आयोजन किया जाएगा. नीलामी में उत्तर प्रदेश का कानपुर जंक्शन और इलाहबाद जंक्शन शामिल हैं जबकि राजस्थान का उदयपुर रेलवे स्टेशन भी शामिल है I सूत्रों के अनुसार नीलामी में भाग लेने वाली कंपनियों को रेलवे स्टेशन की वेबसाइट पर जाना होगा. नीलामी के लिए कानपुर जंक्शन की शुरुआती कीमत 200 करोड़ रुपए जबकि इलाहबाद जंक्शन के लिए 150 करोड़ रुपए रखी गई है. ये जानकारी वेबसाइट के हवाले से है. वहीं नीलामी के परिणाम का ऐलान 30 जून को किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने देश के कुल 23 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया है I

स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने के बाद रेलवे सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था, टिकट बिक्री और पार्सल के साथ-साथ ट्रेनों के परिचालन की जिम्मेदारी संभालेगा. रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था से इतर निजी कंपनी के गार्ड भी शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स की तरह स्टेशन परिसर के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहेंगे. तय किया गया है कि इस व्यवस्था में 45 साल के लिए स्टेशन को संबंधित निजी कंपनी को लीज पर दिया जाएगा. इस अवधि में कंपनी को अमुक रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय सुविधाओं से परिपूर्ण करना होगा. प्लेटफार्म पर फूड स्टॉल, रिटायरिंग रूम, फ्रेश एरिया, प्ले एरिया भी विकसित किए जाएंगे I

रेलवे ने स्टेशनों की नीलामी से पहले यह स्पष्ट कर दिया है कि निजी कंपनी किसी भी सूरत में स्टेशनों के हेरिटेज स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं करेगी. यानी कानपुर सेंट्रल और इलाहाबाद स्टेशन का स्वरूप जस का तस रहेगा. स्टेशन परिसर की खाली जगह में स्टेशन को खरीदने वाली कंपनी फाइव स्टार होटल, शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स बनाएगी I

रेलवे ने स्टेशनों को विकसित करने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित कर लिया है लेकिन आमदनी में बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. रेलवे फिफ्टी-फिफ्टी का फॉर्मूला लागू करना चाहती है, जबकि निजी कंपनियों का तर्क है कि संसाधन और सेवा मुहैया कराने में लगातार खर्च आएगा, ऐसे में 70-30 फीसदी की हिस्सेदार तय होनी चाहिए. स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए निजी कंपनी के साथ अनुबंध करने की शुरुआत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से शुरू हुई है I