नैनीझील की दुर्दशा से व्यथित बौद्ध धर्म के अनुयाईयों ने झील में नाग देवता की पूजा अर्चना और मंत्रोचारण किए

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कान्तापाल/नैनीताल –  नैनीझील की दुर्दशा से व्यथित बौद्ध धर्म के अनुयाईयों ने झील में नाग देवता की पूजा अर्चना और मंत्रोचारण किए । तिब्बत के बौद्ध धर्मानुयाईयों ने नैनीझील की गंदगी और दुर्दशा को खत्म करते हुए इस वास्तविक रूप में लाने के लिए आज सवेरे पूजा की । बौद्ध धर्म के लोगों ने पहले माल रोड स्थित कैनेडी पार्क के समीप, फिर दर्शन घर में, पाषाण देवी और अन्त में नयना देवी मंदिर के समीप नकाग देवता को खुश करने के लिए पूजा की। आयोजकों ने बताया कि बौद्ध धर्म का मानना है कि झील या किसी भी पानी के स्रोत के सूखने का कारण वहां के नाग देवता का रुष्ट होना माना जाता है । उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा करी जाती है । इसी के तहत आज सत्तू के आटे की प्रतिमा ‘तोरमा'(नाग देवता की प्रतिमा)बनाई जाती हैं । इसके अलावा पूजा में सत्तू के साथ करसुम (दूध, दही और मक्खन) नरसुम(गुड़, शहद और चीनी) का भी प्रयोग किया जाता है जिससे कुल सात चीजों का मिलाप करने के बाद मंत्रोचारणों के साथ जल प्रवाह किया जाता है । बौद्ध धर्मियों का कहना है कि इससे पहले भी पहाड़ियों में बीती 14 तारीख को सुख शांति के लिए पूजा अरचना की गई थी जिसमें चिड़ियाघर(ज़ू), शेरवुड, बारह पत्थर और फिर स्नो व्यू में पूजा हुई थी ।
आज पूजा में सुख निवास स्थित बौद्ध मन्दिर के चार लामाओं(बौद्ध भिक्षुओं)ने मंत्रोच्चारण कर पूजा अरचना की । इसमें नवांग छुदर, तेनजिंग छुदर, तेशी ग्यमछु और गेन जोरिख ने झील के दोबारा पुराने अस्तित्व में आने की प्रार्थना की । आयोजन में पेमा सिथर, के.टी.लांगथोंग, आनंद खम्पा व सोनम आदि ने अपना योगदान किया ।