पर्यावरण में आयी खराबी के कारण ही पहाड़ो की शान नैनी झील में पानी का स्तर गिर रहा है

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कान्तापाल/ नैनीताल –   नैनीताल व् उत्तराखण्ड के पहाड़ों की शान कही जाने वाली नैनीझील
का बीते दो वर्षों से लगातार जलस्तर गिर रहा है। यहाँ वर्ष
2011 के अनुपात में इस वर्ष झील में लगभग 8 फ़ीट पानी कम भरा रह गया है ।
पहाड़ों में सर्दियों और फिर गर्मियों में होने वाली बरसात के कम होने से
भी जलस्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है ।
नैनीझील में हमेशा से ही शून्य जलस्तर से ऊपर और नीचे के
जलभराव को नापा जाता है। यहाँ बरसातों के मौसम में झील जहाँ 11 फुट की
अपनी क्षमता  तक भरकर लबालब हो जाती है जिसके बाद अतिरिक्त जल की निकासी
की जाती है । वहीँ गर्मियों के जून माह तक इसका जलस्तर माइनस आठ से दस
इंच तक गिर जाता है।
बीते कुछ वर्षों का अगर हम आंकलन करें तो पिछले दो वर्षों से झील के
जलस्तर में चौकाने वाली गिरावट देखने को मिली है। नैनीताल की इस
प्राकृतिक झील में जल संचार के लिए सन 1888 में अंग्रेजी शासनकाल में 62
नालों का निर्माण करा गया था जो चारों तरफ से पानी को झील तक पहुँचाने का
काम किया करते थे। इसके अलावा कुछ वर्ष पहले तक सूखाताल झील भी नैनीझील
का बड़ा जलश्रोत माना जाता था लेकिन न्यायिक आदेश के बाद सूखाताल में जमा
होने वाले पानी को सीधे नैनीझील से होकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता
है। एक मुख्य कारण शहर में बनी सीमेंट की सड़कें भी हैं जो पानी को सीधे
झील और फिर बाहर का रास्ता दिखाती हैं। इससे पहले यही पानी इन सड़कों में
रीसकर धरती की कई परतों को पार करते हुए प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होकर
झील तक लंबे समय बाद पहुँचता था। अब शहर में आबादी और होटलों की संख्या
लगातार बढ़ने के बाद जहाँ उपभोग के लिए पानी काफी मात्रा में चाहिए पड़ता
है वहीँ घरों और होटलों की पानी की टंकियों में भरा पानी भी झील के
जलस्तर को काफी कम कर देता है।
नैनीताल की तेजी से सूखती नैनीझील के अस्तित्व को लेकर जितनी
भ्रांतियां सामने आ रही हैं उतना ही झील के जीवनदायिनी नाले इसे भरने में
आमादा हैं । यहां कटोरे के आकार वाले नैनीताल में चारों तरफ से पहाड़ हैं
जो पकङी की एक बूंद को भी नालों के माध्यम से सीधे झील तक पहुंचाते हैं ।
नैनीताल में रुक-रुक्-कर बरसात हो रही है जिसके बाद पानी सीधे झील में
पहुंच रहा है ।
इधर सैलानियों में भी इस बात को लेकर चर्चा है उधर  वैज्ञानिक झील में पानी के गिरते स्तर के लिए जलवायू परिवर्तन के साथ
बरसात के तेज और कम अंतराल यानि पर्यावरण के खराब होने  को कारण मान रहे है जिससे पानी झील से बाहर
निकल जाता है। उन्होंने बताया कि शोध कर उन्होंने जाना की बीते दो दशकों
में अनियंत्रित भवन निर्माण हुए हैं जिसके कारण के श्रोत भी बन्द हो गए
ही। उन्होंने कहा कि नैनीताल की जागरूक जनता के कारण यहाँ की झील कभी
नहीं सूख सकती है । उन्होंने ये भी बताया कि झील के रिचार्ज कंहा गए हैं
जो चिंता का विषय हैं । इसके अलावा जिलाधिकारी भी झील को पानी से भरने के
लिए जी तोड़ मेहनत करते नजर आ रहे हैं । उन्होंने बताया कि शहर से पानी को
बाहर ले जाते नालों को भी झील में लाया जाएगा और यहां कैचमेंट में सुधार
कर पानी को दोबारा झील तक पहुंचाना है ।