विश्व पर्यावरण दिवस विशेष : देश में बढ़ता प्रदूषण , जिम्मेवार हम खुद भी

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World-Environment-Day 2019
देश के हर शहर में तेजी से बढ़ रही वाहनों की संख्या और उनसे लगने वाला जाम एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है जिसका समाधान होना तो अभी नामुमकिन सा नज़र आ रहा है l अक्सर फसलों के सीज़न के समय सभी आसमान पर धुंधली प्रदूषण की चादर देखकर बोलना शुरू कर देते हैं कि ये फसलों के अवशेष या पराली जलाने के कारण है और ये घुआं पंजाब से आ रहा  है हरियाणा  से आ रहा है l लेकिन ज्यादा सर्वे रिपोर्ट देश के शहरों में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हर रोज बढ़ते वाहनों की संख्या को मान रही हैं जिन पर कोई रोक नहीं है l विश्व पर्यावरण दिवस पर सिर्फ पर्यावरण बचाने की की बात कर लेने की बजाए हर व्यक्ति को संकल्प लेना होगा कि वह इस चुनौती से निपटने में अपना सहयोग दें और अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उन्हें बड़ा होने तक देखभाल करें  l निजी वाहनों को जरूरत के अनुसार कम से कम इस्तेमाल करें साईकिल चलाएं l लेकिन किसी ने ठीक ही कहा है हम पानी से ज्यादा पैट्रोल इस्तेमाल कर रहे हैं तो पर्यावरण कैसे ठीक रहेगा l वाहन परिवारों के स्टेटस सिंबल बन गए हैं जितनी बड़ी गाड़ी उतना बड़ा रुतबा l साईकिल की जगह एक्टिवा , स्कूटर , मोटरसाइकिल ने ले ली और मोटरसाइकिल की कारों ने l घर में जितने सदस्य नहीं जितने वाहन हैं l हम साईकिल नहीं चलाएंगे भले ही कार से जिम जाकर साईकिल चलानी पड़े l परिवारों में दुर्घटना से बेखौफ होकर छोटे छोटे बच्चों को वाहन पकड़ा दिये जाने की परम्परा बढ़ रही है l
मेरा गांव मेरा मिशन के सदस्य पवन ,शैलेन्द्र ,लक्ष्य ,राकेश ,भीमसेन ,कुलदीप का कहना है कि लोग पब्लिक वाहनों की बजाए निजी वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं इसके लिए हमें सबसे पहले स्कूलों में स्कूल वाहन या 12वीं तक साईकिल अनिवार्य करनी होगी बजाए दूसरे वाहनों के l अपने अपने रहने के स्थान के आसपास के स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाएं l अक्सर देखा जाता है कि लोग बाज़ारों में भले ही वाहनों के कारण कई कई घंटे जाम में फंसे रहते हैं लेकिन जाना कार से ही होता है चाहे कितना प्रदूषण फैले l सड़कों पर बढ़ते वाहन इस बात का संकेत दे रहे हैं कि कुछ समय बाद तो पैदल चलने की भी जगह नहीं बचेगी l घरों में वाहन रखने की जगह नहीं है पर वाहन लेकर सड़कों पर खड़े कर रखे हैं l विजय मगु का कहना है कि इन हालातों को देखकर लगता है कि आने वाले समय में लोग कहते नज़र आएंगे कि वाहन को शहर से बाहर ही रखें अंदर जगह नहीं है l
बढ़ते वाहनों की संख्या पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार पार्किंग शुल्क बढ़ाने, विशिष्ट इलाकों में प्रवेश के लिए ‘कंजेशन चार्ज ‘ (भीड़भाड़ शुल्क) लगाने और जन परिवहन प्रणाली में सुधार करने सहित कई उपायों पर विचार कर रही है। प्रदूषण नियंत्रण (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना चल रहे वाहनों पर दंड शुल्क बढ़ाने की योजना भी बना रही है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि वाहनों की बढ़ती संख्या शहर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है और हमें इसके लिए कड़े फैसले करने होंगे।
उसके जल, वायु, भूमि – इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। क्योंकि पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर प्रदूषण पर रोक लगाना चाहते हैं l पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।
इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना है जिसे हम भूल गए हैं ,जैसे हम पेड़ नहीं लगाते पर वाहन खड़ा करने के लिए पेड़ की छाया ढूंढ़ते हैं l दिन प्रतिदिन पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और पृथ्वी पर  हो रही ग्लोबल वार्मिंग से हालात अब खतरनाक मोड़ पर आ चुके हैं l वैज्ञानिकों के मुताबिक विश्व के समुन्द्रों में हर साल करीब 80 लाख टन प्लास्टिक का कचरा फेंका जाता है l इन सभी कारणों से जीव जंतु , पशु ,पक्षी भी खत्म होते जा रहे हैं l
हालाँकि वाहन बनाने वाली कंपनियां बढ़ते प्रदूषण को लेकर ही अब वाहन बना रही हैं जैसे बैटरी वाले वाहन आ  रहे हैं यानि  हम प्रकृति के अनुकूल वाहनों को प्रस्तुत करते जा रहे हैं जिससे  प्रकृति को कम नुकसान हो मगर वह इतने अधिक प्रदूषण के सामने नहीं टिक पा रही हैं l  यही मुख्य कारण है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या और गंभीर बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है , जिसके हम खुद जिम्मेवार हैं l