शहीद प्रगट सिंह के परिवार को 50 लाख रूपये का चैक व पत्नी को सरकारी नौकरी देकर सरकार ने की आर्थिक मदद

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करनाल – मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले जाबाजों की शहादत को सदा-सदा के लिए यादगार बनाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहीद जवान के परिवार को 50 लाख रूपए की आर्थिक सहायता तथा पत्नी को स्थाई नौकरी देकर शहीद के परिवार का दुख कम करने का काम किया है।
गत 23 दिसम्बर को करनाल के रम्बा गांव के जवान प्रगट सिंह बार्डर पर शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित क्षेत्र की सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संगठनो ने सलाम किया तथा शहीद के परिवार को सांत्वना भी दी। जवान के जाने के बाद परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक तंगी से ना गुजरना पड़े, मुख्यमंत्री ने शहादत के एक सप्ताह के अंदर ही अर्थात 30 दिसंबर को 50 लाख रूपये का चैक परिवार को दिया तथा घोषणा की कि शहीद की पत्नी को उसकी शिक्षा के अनुसार शीघ्र ही सरकारी नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने शहीद परिवार के लिए अपने वायदे को पूरा करते हुए शहीद की पत्नी रमनदीप कौर को करनाल के डी.सी. कार्यालय में लिपिक के पद पर स्थाई पद पर नौकरी दी।
 इस बारे में सरकारी प्रवक्ता ने जब शहीद की पत्नी रमनदीप कौर से कार्यालय में उनसे बातचीत की तो उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेरे पति के शहीद होने के बाद परिवार को संभालने का वादा किया था और वायदे के अनुसार वह खरे भी उतरे। उन्होने 50 लाख रूपये का चैक व मुझे लिपिक की स्थाई नौकरी भी दी है। इस नौकरी से वह अपने परिवार का गुजारा ठीक प्रकार से चला रही है। परिवार में उनका बेटा दिवराज, सास-ससूर व दादा-दादी हैं। वह उनकी देखरेख कर रही है। रमनदीप कौर का कहना है कि उन्होने निर्णय लिया है कि उनके परिवार के बुजुर्गो को कभी उनके प्रगट सिंह की कमी याद न आए, मैं इसके प्रयास कर रही हूॅ और मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री का शहीद के सहयोग के लिए आभार भी प्रकट करती हूॅ। उन्होने कहा कि वर्तमान हरियाणा सरकार सैनिको की सच्ची हितैषी है।
उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शहीद प्रगट सिंह की पत्नी रमनदीप कौर को लघु सचिवालय में नाजर ब्रांच में लिपिक के पद पर पिछले महीने ज्वाईन करवाया गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सैनिको व शहीदों के सम्मान के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं लागू की हैं, ताकि सैनिक की शहादत के बाद परिवार के किसी सदस्य को दिक्कत ना आए। इसके लिए विधवा पेंशन व आर्थिक सहयोग जैसी योजनाएं लागू की हैं।