शाहजहांपुर – होली के पांच दिन बाद स्पेशल होली , एक अनूठी परम्परा

0
171

नन्दलाल / शाहजहांपुर – रंगो का त्यौहार होली और उसे मनाने के तरीके पूरे देश में अलग अलग है ।कही फूलो से होली खेली जाती है तो कही लाठीमार होली खेली जाती है। लेकिन शाहजहांपुर जिले के खुदागंज कस्बे में रंग खेलने की परंपरा सबसे अनूठी है। यहां हर वर्ष की होली के पांच दिन बाद  रंग पंचमी पर रंग खेला जाता है। यहा के लोगों ने होली पंचमी पर लाट साहब को गधे पर बैठाकर जुलूस निकाला। इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे को रंग-अबीर, गुलाल लगाया और होली की शुभकामनाएं दीं।

शाहजहाँपुर के खुदागंज कस्बे में होली पर नहीं बल्कि पांचवें दिन रंग पंचमी पर रंग खेला जाता है। इसी परंपरा के चलते रंग पंचमी पर कस्बे में होली के रंग बिखरे। सबसे पहले कस्बे के लोग एक जगह  इकट्ठे होते है। इसके बाद लाट साहब को गधे पर बैठा कर जुलूस निकाला जाता है। इस दौरान पूरे कस्बे में जमकर रंग खेला जाता है। लोगों ने एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाया। लोगों ने एक-दूसरे को गुजिया खिलाईं और गले मिलकर होली की मुबारकबाद दी। लाट साहब के जुलूस के चलते कस्बे में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।

वर्षों पुरानी है ये अनोखी परंपरा खुदागंज कस्बे का जंग-ए-आजादी से पुराना नाता है। क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह इसी कस्बे के नजदीक के गांव नवादा दरोवस्त के रहने वाले थे। कस्बे में रंग पंचमी पर रंग खेलने की परंपरा वर्षों पुरानी है। परंपरा के अनुसार लाट साहब बना व्यक्ति थाने में निरीक्षण को जाता है। जिसे थाने का एसएचओ सैल्यूट कर शराब की बोतल और नकदी देकर मनाता है। वैसे तो पूरे साल लोग अलग-अलग तरीके अपना विरोध प्रकट करते हैं, लेकिन शाहजहांपुर में अंग्रेजों के प्रति अपना विरोध प्रकट करने का ये तरीका बेहद निराला है।