समाजसेवी या फोटोबाज़

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रिपोर्ट /रियल टीम – आजकल सोशल मीडिया और फेसबुक पर कुछ तथाकथित लोग समाजसेवी बनने का ढोंग करके सिर्फ अपना उल्लू साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं l ऐसे ही लोग जितना फोटो पर ध्यान दे रहें हैं उतना जमीनी काम पर बिल्कुल नहीं अब बुद्धिजीवी लोग इस बारे में कह रहे हैं कि अच्छा सोशल मीडिया हुआ और अच्छा फ्री का इंटरनेट कि लोगों का काम सिर्फ फोटो तक ही रह गया यदि इतना ध्यान वही लोग सच में जमीनी बुराइयों को खत्म करने की तरफ लगाएं तो समाज और देश के वारे  न्यारे हो जाएं l

सच्चाई की बात करें तो ये सब पहले भी होता था लेकिन पहले ये घर और दफ्तरों की दीवारों में फ्रेम लगी फोटो के रूप में था जो अब सोशल मीडिया और फेसबुक के बहाने ज्यादा परोसा जाने लगा है l  ऐसे ही कुछ तथाकथित लोगों का काम है नेताओं के साथ किसी न किसी बहाने फोटो या सेल्फी खिंचवाना और शेयर कर वायरल करना , इस प्रथा ने सब जानते हैं कि जोर पकड़ रखा है अब बात कुछ अच्छा काम करने वालों की भी है जो समाज को इस बहाने कुछ अच्छा संदेश दे रहे हैं l लेकिन कुछ लोग सिर्फ ढोंग कर रहे हैं जो अच्छे समाजसेवी और नेताओं , अफसरों की छवि को भी बदनाम कर रहे हैं l अभी हाल ही में बिहार और उत्तरप्रदेश में सामने आया है कि असामाजिक कार्य करने वाले लोग किस तरह फोटो खिचवाते हैं और बाद में अफसरों पर इन्ही फोटो का रोब डालकर करोड़ों का चूना लगाने का काम करते हैं  l ऐसा सिर्फ यहीं नहीं बल्कि देश में जगह जगह पर ये सब चलता रहता है और गलत घटना के बाद में मीडिया के लोग उनकी फोटो इसके और उसके साथ दिखाते हैं यानि समाज के लोग किसी फोटो या सेल्फियों को सच न मानकर इसके पीछे रखी गई सच्चाई को जानने की कोशिश करें l

नेशनल कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) के पास मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक 5850 रजिस्टर्ड बाल गृह हैं और 1339 का रजिस्ट्रेशन अभी बाकि है l इसी तरह की और भी संस्थाएं चल रही हैं जो (NCPCR) की लिस्ट में शामिल नहीं हैं l हालाँकि केंद्रीय मंत्री मेनका गाँधी ने देश के सभी शैलटर होम और एन. जी. ओ. की दुबारा से समीक्षा करने की बात कही है l

पूर्व आई.ए.एस. नीलम कासनी ने इस विषय पर कहा कि अब टेक्नोलोजी बहुत आसान हो गई है इस कारण ये सब हो रहा है ऐसे विषयों को लेकर लोगों में जागृति आनी चाहिए कि ऐसी फोटो फेक भी हो सकती हैं क्योंकि कुछ लोग ये सब गलत उद्देश्य के साथ करते हैं उनको पहचानने और उन पर विश्वास न करने की जरूरत है l  ऐसे काम लोगों की खुद ही मानसिकता का परिचय दे देती हैं  l