कुल्लू (हि०प्र०) – लिटिल लावर स्कूल में हिमाचल संस्कृति के दर्शन

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कैप्शन - समारोह में कार्यक्रम पेश करते हुए नन्हे छात्र

रिपोर्ट-निखिल/मनाली-लिटिल लावर स्कूल बशकोला में शनिवार को स्कूल का वार्षिक समारोह मनाया गया । इस अवसर पर कुल्लू के एसडीएम अमित गुलेरिया ने मुयातिथि के रूप में शिरकत की। समारोह का आगाज बंदे मातरम गाने के साथ शुरू हुआ। इस अवसर पर नौनिहालों ने कुल्लवी, लाहौली, किन्नौरी पारपारिक नृत्यों के साथ सकल हिमाचल के जिलों के पारंपारिक परिधानों से सुसाित हिमाचल की संस्कृति को संवारा। कक्षा तीसरी के विद्यार्थियों ने डांडिया नृत्य, चौथी कक्षा के बाों ने शिमला नाटी, पांचवी कक्षा की छात्राओं ने पंजाबी गाना पर नाच किया। कक्षा छट्टी के बाों ने मंडयाली नृत्य, सातवी कक्षा के बाों ने गुजराती गरबा पर नाच किया। इस अवसर पर चौथी कक्षा के नौनिहालों ने छोटा बाा जान के हम से न टकराना.. गाने पर नाच पेश किया जिसको सभी ने सराहा। इस अवसर पर शंशाक मॉडल स्कूल के प्रबंधक निदेशक लक्ष्मी शर्मा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पनारसा के प्राचार्य नरांतक शर्मा, ग्राम पंचायत के उपप्रधान राकेश उपाध्याय, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य अंजना ब्यास सहित बाों के अभिभावकों ने भाग लिया। इस अवसर नर्सरी से लेकर केजी के नौनिहालों की प्रस्तुति ने अभिभावकों को तालियों बजाने पर मजबूर किया। इन नन्हें-मुन्हों की प्रस्तुति समारोह का आकर्षण रही। इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य सेवानिवृत बिग्रेडियर किशन दास ने मुयातिथि के समक्ष स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट के साथ मैधावी छात्रों के नामों को प्रस्तुत किया। पूरे दिन भर चले इस वार्षिक समारोह में बाों ने हिमाचल के सभी जिलों की संस्कृति को लेकर उसे कड़ी में पिरोया जिसका सभी ने आनंद लिया। इस अवसर मुयातिथि एसडीएम कुल्लू अमित गुलेरिया ने बाों के इस वार्षिक समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर स्कूल प्रबंधन को बधाई दी और कहा कि जिस तरह से इस विद्या मंदिर में नौनिहालों को शिक्षा दी जा रही है उसके साथ उन बाों को अन्य गतिविधियों में भागीदारी सुनिश्चित करके उनक ी प्रतिभा को निखारा हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा लेना एक अछे नागरिक के लिए बेहद जरूरी है उसी के साथ समाज सेवा का जवा व संस्कृति को संजोए रखने का कार्य भी स्कूल में वार्षिक समारोह के आयोजन से बाों को परिपक्व करता है। उन्होंने कहा कि एक स्वछ समाज व स्वछ राष्ट्र निर्माण के लिए यही बो कल के कर्णधार होते हैं जिन्हें अछे संस्कार देना अभिभावकों व शिक्षकों पर निर्भर करता है। समारोह के समापन्न पर मुयातिथि ने मैधावी बाों को पुरस्कार भी वितरित किए।