रिपोर्ट – कान्ता पाल/ नैनीताल – हाईकोर्ट ने गंगा में गिरने वाले बिना ट्रीटमेंट के 65 ड्रेन को सीज करने या उन्हें डायवर्ट करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने इन नालो के ट्रीटमेंट निर्धारित समय मे पूरा करने को कहा है।
मामले के अनुसार इन री इन दा मैटर ऑफ सुओमोटो कोगिनजंस रेगार्डिंग कंटैमिनेशन ऑफ वाटर ऑफ रिवर गंगा के नाम से इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की। याचिका में कहा गया था कि गंगा के उदगम स्थल से हरिद्वार तक गंगा में सैकड़ों नाले गिरते हैं। जिनके दूषित पानी से गंगा प्रदूषित होती है। कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के क्रम में राज्य के पेयजल सचिव ने शपथपत्र देकर बताया कि गंगा के उदगम स्थल से हरिद्वार तक गंगा के किनारे के छोटे कस्बे, नगर निगम, व कई गॉव भी है। इसके अलावा कई सहायक नदियां ही गंगा में मिलती है। जिनका पानी दूषित होता है। गंगा व उनकी सहायक नदी में गिरने वाले 135 नालो में से 70 नालो का बहाव गंगा एक्शन प्लान फैज 1 व 2 के तहत रोक दिया है। बाकी 65 नालो को इंटरकैप्शन डायवर्सन एंड ट्रीटमेंट एंड एसटीपी जो कि नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा के अंतर्गत ट्रीटमेंट किया जा रहा है। कोर्ट की खंडपीठ ने हरिद्वार के 72 घाटों के सफाई के लिए टेंडर प्रक्रिया 21 दिनों के भीतर पूरा करने को कहा है। साथ ही ऋषिकेश, मुनि की रेती, कीर्तिनगर, श्रीकोट, गंगनाली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंद प्रयाग, जोशीमठ, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी के बिना ट्रीटमेंट के गंगा में गिरने वाले नालों को निर्धारित समय में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इन सभी कार्य को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ मार्च 2020 तक को पूरा कर लिया जाए। कोर्ट ने सभी जिलो के डीएम को इन आदेशों के पालन की जिम्मेदारी दी है साथ ही राज्य के पेयजल सचिव को इन आदेशों के पालन के लिए नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है।इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया है