Election Special :अब मन लागो मेरा यार नेतागिरी में

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Election Special : मन लागो मेरा यार फ़कीरी में …… संत कबीर के भजन की लाइन है, लेकिन अब मन लागो मेरा यार नेतागिरी में….. का जबरदस्त रिवाज चला हुआ है l हर कोई जल्दी से जल्दी अमीर बनने के लिए नेता का चोला पहनने के लिए आतुर है और हो भी क्यों न क्योंकि एक बार लाटरी लगी और पुश्तों का जुगाड़ फिट l इस दौड़ में संस्कार और आत्मसम्मान की भला किसको परवाह l एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लोग पहले एक्टर बनना ज्यादा पसंद करते थे और अब नेता l समझिए जो जैसा ऊपर से सेवाभावी दीखता है वैसा तो बिलकुल नहीं है l जैसे कुछ लोग सरकार बनते ही ताजे ताजे अमीर बने दिखाई देते हैं कुछ के पास तो वाहन के नाम पर केवल पुराने मॉडल की स्कूटर या मोटरसाइकिल ही थी और आज कई तरह की लाखों की चमचमाती गाड़ियां हैं जिनमें बैठकर ये आम आदमी को पहचानते तक नहीं l इनके पास महंगी गाड़ियां ही नहीं बल्कि बड़े बड़े शोरूम और महंगी जमीनों के मालिक हैं l अब शार्ट कट में इतना जल्दी धन कहां से आया ये तो सब समझ सकते हैं l कई लोगों द्वारा ऐसा कहते सुना जाता है कि भाई ऐसी समाज सेवा को तो हम भी 24 घंटे तैयार हैं l क्योंकि राजनैतिक इच्छा पूरी करने के लिए किसी किस्म की डिग्री या किसी उच्च शिक्षा की जरूरत नहीं है l इसका खुलासा तो कुछ रोज पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कर दिया था कि प्रथम स्थान से पास आई ए एस और दूसरे से सामान्य नौकरशाह बनता है पर नेता बनने के लिए तीन बार फेल भी चलता है l जब इस किस्म की मानसिकता वाले लोग नेता बनने लगेंगे तो देश का भविष्य कैसा होगा ,हर कोई भली भांति जानता है l

आमतौर पर देखा जाता है कि चुनाव जात पर आधारित हो जाते हैं और टिकट का बंटवारा करने वाले आलाकमान जात के समीकरण के हिसाब से ही टिकट बांटते हैं भले ही वो मंचों से नारा देते रहें कि …. सबने जातपात से ऊपर उठकर वोट देनी है l मतदाता भी अपनी प्राथमिकताऐं भुलाकर अपने समाज के प्रत्याशी के ही पक्ष में लामबंद होना शुरू हो जाता है l जो लोगों की भावनाओं को भुनाने में माहिर होते हैं वह इस खेल में आगे चलते नज़र आते हैं l यानि ऐसे समय में वोट का ध्रुवीकरण इस प्रकार से हो जाता है कि हर कोई अपने समाज के प्रति ही बस सहज नज़र आता है l