Karnal- हमारे तीर्थ स्थल समरसता का प्रतीक हैं: स्वामी ज्ञानानंद

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करनाल : गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर, मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल और काशी में ज्ञानवापी मंदिर एक सनातन सत्य हैं। इन्हें सभी पक्षों को स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि को लेकर जो बात की हैं, उससे नई आशा का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां सरकारों द्वारा जिस तरह से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को महत्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारे धार्मिक स्थल समरसता का प्रतीक हैं। गंगाजी में स्नान कोई भी कर सकता है। हमारे तीर्थों में किसी तरह का भेदभाव नहीं है।  उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा में महाभारत कालीन स्थलों और श्रीमद भागवत गीता की जन्मस्थली को मिलाकर अड़तालीस कोसी परिक्रमा बनाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुरुक्षेत्र को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित किया है। आने वाले समय में कुरुक्षेत्र विश्व की कर्मनगरी के रूप में स्थापित होगी। पहले कुरुक्षेत्र को महाभारत की युद्ध स्थली के रूप में जाना जाता था। अब इस नगरी को मानवता के संदेश स्थली के रूप में पहचान मिली हैै। यहां से विश्व को श्रीमद भगवत गीता का संदेश दिया गया। आज श्रीमद भगवत गीता विश्व की अमूल्य धरोहर है। आज पूरे विश्व में श्री गीता का परचम लहरा रहा हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता को किसी धर्म में नहीं बांधा जा सकता हैं। यह तो जीवन प्रबंधन की अमूल्य कृति हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। हमारा राष्ट्र गौरव फिर से स्थापित हुआ है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म और सनातन धर्म एक ही है। इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर के किले में जैन प्रतिमाओं को जिस तरह से खंडित किया गया। वह उस काल के वहशीपन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के तीर्थंकर और जैन तीर्थ हमारी सनातन परंपरा की विरासत का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि हमारी विरासत कितनी प्राचीन है। उन्होंने कहा कि हमें जैन तीर्थों और उनकी परंपरा पर गर्व है। सरकारें वहां की खंडित प्रतिमाओं का फिर से उद्धार करने के लिए योजना बनाएं । उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन परंपराओं ऋषि परंपरा के प्रतीक वेद व्यास की प्रतिमा को लोकसभा और विधानसभाओं में स्थापित किया जाएगा, वह दिन अब दूर नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति के लिए हिंदुओं का मजबूत और संगठित होना बहुत जरूरी हैं।