करनाल -प्राकृतिक जीवन शैली से हो सकता है कोरोना से बचाव -स्वामी सम्पूर्णानन्द

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करनाल – एक ओर जहाँ सारी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर चिंता और डर का माहौल बना हुआ है वहीं प्रकृतिक जीवन शैली से जुड़े लोगों पर इस वायरस का प्रभाव न के बराबर होता है। कोरोना से बचाव को लेकर पूरी दुनिया एक बार फिर से भारतीय जीवन शैली को अपना रही है l प्राकृतिक जीवन शैली अपनाना और नमस्ते से लेकर शाकाहार तक को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है।

करनाल में योग और गुरुकुल परम्परा से जुड़े स्वामी सम्पूर्णानन्द ने कोरोना वायरस के विषय में बात करते हुए कहा कि आज मनुष्य जिस प्रकार प्रकृति से दूर होता जा रहा है उससे वातावरण में नयी तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं ,जिनका आधुनिक मेडिकल साइंस में कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।  जब तक इनका इलाज मिलता है , नई बीमारी पैदा हो जाती है।  ऐसे में प्राचीन भारतीय जीवन शैली और प्रकृति से जुड़ाव ही इनका सम्पूर्ण हल है। फ़ास्ट फ़ूड और गलत खानपान  हमारे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। हमारे खानपान की चीज़ों में अधिक खाद और कीटनाशक प्रयोग होता है जिससे खाने लायक चीज़ें हमारे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं l आज के समय में दुनिया में जो इतना नुकसान हो रहा है इसका मुख्य कारण प्रकृति से छेड़छाड़ है जिस कारण हमारा वातावरण खराब हो रहा है l जीवन बचाने के लिए शुद्ध शाकाहारी खानपान और देसी प्राकृतिक संसाधन अपनाना स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए सबसे जरूरी है l यदि कोई व्यक्ति यह सब करता है तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है l

ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन देशों में कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था ,उनकी जीवन शैली प्रकृति के विपरीत थी जिसका परिणाम आज हम सब भुगत रहे हैं।  उन्होंने कहा कि  प्राकृतिक जीवन शैली और रासायनिक खाद्य की बजाए जैविक खेती को अपनाकर हम अपने शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को इतना मजबूत बना सकते हैं कि उस पर किसी प्रकार के वायरस का असर ही नहीं हो पायेगा। स्वामी सम्पूर्णानन्द ने कहा कि हमारे शरीर के अंदर ही बीमारी का इलाज मौजूद है , सिर्फ उसे पहचानने की जरूरत है।  जैसा कहा जा रहा है कि कोई भी वायरस 32 डिग्री से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रहता है  l  हाथ की सफाई के लिए सेनेटाइजर उपलब्ध न हो तो ऐसे में दोनों हाथों को आपस में रगड़कर उसे गर्म करें और तापमान को 40 से 45 डिग्री तक ले जाएं l  यह तरीका यानि प्राकृतिक सैनिटाइज़र हाथों को कीटाणु रहित कर देगा। हमारे पूर्वज पुराने समय में पानी की कमी होने पर खाना खाने से पहले ऐसे ही हाथ साफ करके खाना खाया करते थे l स्वामी जी गांव नलवी खुर्द में पिछले काफी समय से महर्षि दयानन्द गुरुकुल चला रहे हैं जिसमें दूर दूर से आये छात्र शास्त्री और आचार्य की शिक्षा ग्रहण करते हैं l यहां कुटिया पर जैविक खेती की जाती है और  देसी दवाइयां भी बनाई जाती हैं l  यहाँ गौशाला भी है जिसके गोबर और मूत्र का प्रयोग खेती में किया जाता है l  स्वामी जी ने कहा कि जीवन में प्रतिदिन योग प्राणायाम करें साफ सफाई रखें , जीवन से हाथ धोने की बजाए साबुन से हाथ धोएं l