करनाल – किसान आंदोलन की आड़ में साजिश 

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करनाल – देश के राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी के दिन  किसान आंदोलन की आतंकी भूमिका को लेकर किस हिंदुस्तानी का सिर शर्म से झुका नहीं होगा l इस शर्मसार कर देने वाली घटना की सब जगह निंदा हुई l कहा जा रहा है कि यह तो हमारा देश भारत था जहां ऐसी आतंकी घटना पर भी संयम बरता गया क्योंकि उस दिन हमारा राष्ट्रीय पर्व था वर्ना कोई ओर देश होता तो घटना से समय ही लाल किला पर तिरंगे का अपमान करने वालों का नामोनिशान न बचता l खालिस्तानी आतंकी इस किसान आंदोलन में काफी समय पहले से ही घुसपैठ कर चुके थे , जिसके उदाहरण भी सबके सामने हैं  l किसान आंदोलन से आतंकी आंदोलन बने इस आंदोलन में अब केवल सरकार विरोधी शक्तियों का जमावड़ा है l कौन से समाज के लोगों की सक्रिय भूमिका नज़र आ रही है वह सबके सामने है और राकेश टिकैत के रोने के ड्रामे ने जो प्रोपेगंडा रचा वह किसी से छुपा नहीं है l 26 जनवरी के दिन करीब 400 पुलिसवाले चोटिल हुए जिनका इन आंदोलनकारियों ने कभी नहीं सोचा , ट्रैक्टर परेड को टेरर परेड में बदलवाकर मंच से बोलने वाले कथित किसान नेता जवाब देने के नाम पर गायब हो गए l ट्रैक्टरों को आतंकियों ने हथियार के तौर पर जिस तरह इस्तेमाल किया सोचकर दिल सहम उठता है, हालाँकि उन ट्रैक्टरों के नंबर भी नकली पाए गए l लेकिन इसमें देश की सुरक्षा एजेंसियों पर भी सवाल खड़े होते हैं कि क्या आंदोलन में खालिस्तानी आतंकियों के घुसने की खबर इनको नहीं थी l जबकि कई खालिस्तानी मंच से बोलकर 26 जनवरी से पहले ही लाल किला पर उपद्रव करने की तैयारी कर रहे थे l अनेकों ऐसी वीडियो सामने आ रही हैं जिन्हें देश के सौहार्द को खराब करने के लिए फेसबुक लाइव के जरिये बनवा कर वायरल करवाया गया l किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को खात्मे की ओर जाते आंदोलन में रोकर जो फायदा मिला उन्होंने खुद भी स्वप्न में भी न सोचा होगा l गाजीपुर बार्डर पर एकदम सुरक्षा कड़ी होते ही टिकैत के चेहरे की हवाइयां उडी और फिर रोने का ड्रामा कर गांव के लोगों से पानी मांगना और साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री से पानी मंगा लेना, तभी से ये किसान नाम का आंदोलन राजनीति का अड्डा बनता चला गया l आज आंदोलन की स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि इस आंदोलन से जुड़े लोग  आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने ही देश को नीचा दिखाने में जुट गए हैं ये देश विरोधी ताकतें शायद इन्हे यह नहीं पता जब देश ही नहीं होगा तो तुम कहां होंगें l

हर तरफ यही कहा जा रहा है कि असली किसान तो खेत में है और वह ऐसी साजिश नहीं कर सकता न ही ऐसी साजिश का हिस्सा बन सकता l लेकिन उनके कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति की जा रही है और देश के खिलाफ साजिश रची जा रही है l इन आंदोलनकारियों से उन सभी गांवों के लोग भी बेहद दुखी हैं जिनके बार्डर का ये इस्तेमाल कर रहे हैं उनकी जिंदगी इन आंदोलनकारियों ने नरक से भी बदतर बना दी है उन खेतों को गंदगी और शौच के लिए इस्तेमाल करके उनको खराब कर दिया है , जिससे वहां बीमारी फैलने का डर है l

इस किसान आंदोलन में अब देश को बाँटने के लिए विदेशी प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है इसके लिए जिन्हें किसान और कृषि का मतलब भी नहीं पता उनसे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करवाए जा रहे हैं l इसकी टूल किट भी सामने आई है जिससे इस बात का खुलासा हुआ है l  सोचिये अगर आपके घर के अंदरूनी मामले में कोई बाहरी घुसे तो आप क्या करेंगें l
किसान आंदोलन में अब शायद ही कोई किसान बचा हो, अधिकतर राजनीति से जुड़े सरकार विरोधी लोगों ने जगह बना ली है l  इस आंदोलन से देश के लोगों को इसका कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है क्या इसका जिक्र कभी इन आंदोनकारियों ने किया, इस आंदोलन में जिनका कोई भविष्य नहीं था ,या जिनकी चुनाव के दौरान जमानत भी जब्त हो गई थी उन्हें भी किसान नाम का मंच जरूर मिल गया l