करनाल – निफा संस्था ने गलवान के शहीदों को नज़्मों व गीतों से श्रद्धांजलि अर्पित की

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करनाल – गलवान घाटी में पड़ोसी चीन के धोखे से किए गए हमले में शहीद हुए 20 भारतीय फ़ौजियों को देश के शायरों ओर कवियों ने अपने शब्दों से श्रद्धांजलि अर्पित की ओर उनकी महान शहादत को नज़्मों व गीतों से इस सलीक़े से पेश किया की श्रोता भावना में बह गए।  सामाजिक संस्था नैशनल इंटेग्रेटेड फ़ोरम आफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस (निफ़ा) में भारत के इन रनबांकरों की याद में राष्ट्रीय डिजिटल मुशायरे / कवि सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें हिंदी, पंजाबी ओर उर्दू भाषा के कवियों ने भाग लिया व अपने शब्दों से उन्हें नमन किया।  श्रद्धांजलि के नाम से आयोजित इस कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार, कवि व हरियाणा के पूर्व पुलिस उप महानिदेशक राजबीर देसवाल ने शहीदों को याद करते हुए कहा, “आओ याद करें हम सब, उन शूरवीर बलबीरों को। जो शहीद हुए गलवान में, उन बलवानो को बलधीरों को।” कवि प्रो० दिनेश दधीचि ने सरहद पर लड़ने वाले फ़ौजियों के बारे में कहा, “ भारत के हर वासी को गलवान रहेगा याद सदा। अपने उन वीर जवानों का बलिदान रहेगा याद सदा।  जिनके साहस के बूते पर हम सभी सुरक्षित हैं घर में। भूलेंगे नहीं कभी उनका एहसान रहेगा याद सदा।”

कार्यक्रम में हैदराबाद से विशेष रूप से जुड़े कवि, लेखक व साहित्यकार कुमार विश्वजीत सपन ने भी गलवान घाटी के हादसे का एक जज़्बाती नजम से ज़िक्र किया। वर्तमान में आंध्र प्रदेश में प्रधान सचिव होम के पद पर तैनात भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विश्वजीत सपन ने तरन्नुम में गाया, “हमला हुआ देश पर ऐसा, दुःख का सागर गहराया। माओं ने बेटों को खोया, तज कर ममता का साया।”  कवि मुस्सव्विर फिरोजपुरी ने एक शेयर के माध्यम से अपने श्रद्धा अर्पित की ओर कहा, “दिलों की कोशिशों पे तो फ़िदा है सारी कायनात। के हौंसलो के साथ साथ उड़ गया है जाल भी।”

उर्दू की शायरा गुरदीप कौर गुल ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा देकर पीठ पर छुरा मारने वाले चीन पर व्यंग कसते हुए कहा, हर लम्हा कुफ़्रों जुल्मों के ख़ंजर तेज करते हैं। उस पर ये ग़जब, हमसायत का दम भरते हैं।” पंजाबी कवियित्री मंजीत इंदिरा ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी ओर पंजाबी कलाम पेश किया जिसके बोल थे, “साडे नैना विच भखदे ने रोह दे चिंगाड़े। असी हिम्मतां दे जाए, साडे परबता जेहे ज़ेरे।
प्रसिद्द कवि श्याम वशिष्ट ने भी तरन्नुम में एक मुक्तक के माध्यम से गलवान के वीरों को याद किया ओर गाया, शहीदों को नमन अपना, इन्ही से है वतन अपना। लहू दे दे के सींचा है, शहीदों ने चमन अपना।”  श्याम सुंदर गुप्ता ने चीन को ललकारते हुए कहा, “ललकार मत हिंद के रोष के तूफ़ान को। बचाए रखना चाहता है, ग़र तू अपनी पहचान को। पंजाबी कवि रतन सिंह ढ़िल्लों ने कहा, माँ धरती दी राखी लई जो खून डोलदे ने। वैरी नु मार मुका के जय हिंद बोलदे ने। ऐसे वीर जवाना नु मैं लख लख नमन करां। वीर जवाना दे दर ते मैं अपना सीस धराँ।

सबसे अंत में कार्यक्रम का संचालन कर रहे ओर सभी कवियों का परिचय करवा रहे सूत्रधार की भूमिका में प्रसिद्द कवि शम्स तबरेजी ने भी अपने कुछ शेयर पढ़कर शहीदों को याद किया। उन्होंने कहा, “याद करना भी फ़र्ज़ है, उनको अजिजाने वतन। मुल्क की ख़ातिर मरे जो, उन शहीदों को नमन।” करनाल के युवा कवि मनोज गौतम ने अपने चिर परिचित अंदाज में गाया, धरा को रक्त देकर हो गए क़ुर्बान घाटी में। थोड़े से मगर फिर भी लड़े बलवान घाटी में। युवा कवि जय दीप तुली ने ओजस्वी गीत पेश किया ओर भारतीय फ़ौज की वीरता का गुणगान किया, जिसके बोल थे, “हिंद की सेना के आगे, है बताओ क्या भयंकर।”

इस अवसर पर निफ़ा अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नु ने कहा कि भारतीय फ़ौज ने हमेशा अदम्य साहस का परिचय दिया है व धोखे से छुपकर किए गए वार के बावजूद शहीद होने से पहले चीन के दुगने से भी ज़्यादा सैनिक मार कर ये साबित कर दिया कि इस देश की सरहदें उनके होते महफ़ूज़ हैं। पन्नु ने एक कविता भी पेश की। कविता की शुरुआत में उन्होंने कहा “गलवान घाटी में जो बहा
वो लहू था हिंद के शेरों का
निर्भीक, निडर, बेपरवाह
जाँबाज़, दिलदार दलेरों का”

निफ़ा संयोजक एडवोकेट नरेश बराना, महासचिव प्रवेश गाबा, IT टीम के इनचार्ज अरविन पंवार सहित देश भर की निफ़ा शाखाओं ने इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आनंद लिया। इंडिया ब्रेकिंग न्यूज़ चैनल ने शहीदों को समर्पित इस कार्यक्रम में मीडिया पार्ट्नर की भूमिका निभाई। वविभिन्न चनेलों से लाइव प्रसारित हुए इस कार्यक्रम ने एक लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुँच की।