Indri – धूमधाम से मनाई गई उधम सिंह जयंती

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इंद्री 26 दिसंबर (मैनपाल कश्यप ) इंद्री के नगर पालिका कार्यालय में उधम सिंह जयंती को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया। उधम सिंह की प्रतिमा के सामने उन्हें श्रद्धांजलि दी गई व हवन यज्ञ किया गया। उसके पश्चात इंद्री चौक पर उधम सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उधम सिंह अमर रहे के नारों से पूरा शहर गूंज उठा। उधम सिंह समिति के अध्यक्ष एमएस निर्मल ने उधम सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश को आजाद कराने में  उधम सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी और इन्हीं क्रांतिकारियों के बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। लंबे समय से गुलामी की मार को झेल रहे हिंदुस्तानियों को इन्हीं क्रांतिकारियों की बदौलत आजादी मिली थी। आज हमें इन पर गर्व करना चाहिए। उधम सिंह किसी एक एक जाति के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल हैं। इस अवसर पर काफी रंगारंग कार्यक्रम भी हुए। उधम सिंह जयंती पर एमएस निर्मल ने बताया कि उधम सिंह ने देश की एकता और अखंडता के लिए जात-पात से ऊपर उठकर अपना बलिदान दिया है।  उन्होंने ने कहा की शहीद उधम सिहं का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के सुनाम कस्बे में साधारण किसान टहल सिहं के घर में हुआ। उधम सिहं के बचपन में मां का निधन हो गया। इसके बाद पिता और भाई का भी साया उनके सिर से उठ गया। अनाथ हुए शहीद उधम सिहं को अमृतसर के अनाथ आश्रम में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। जब उधम सिहं ने जवानी की तरफ कदम रखा तो 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में अंग्रेज हकूमत के  गवर्नर माईकल ओयडवायर और जरनल डायर ने देश में आजादी की लड़ाई लडऩे वाले लोगों पर बैसाखी के पर्व के दौरान इकटठे हुए निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा खूनी होली खेली। इस दृष्य से उधम सिहं का खून खोल उठा तथा वहीं पर खून से सनी मिट्टी को उठकर इस घटना के दोषियों को सजा देने का निर्णय ले लिया। इसके लिए वह इग्ंलैण्ड गए और भरी जनसभा में ही दोनो हत्यारों को मौत के घाट उतारने का इंतजार करते रहे। आखिरकार वह दिन आ गया जिस की वह इंतजार में तडफ़ रहे थे। 13 मार्च 1940 को कि ग्ंसटन हाल में एक जनसभा हो रही जनसभा में उसमें ओयडवायर को हिन्दुस्तानियों की हत्या करने की  सेखी पधारने मौत के घाट उतार कर भारतीयों के खून का बदला ले लिया। इस महान काम पर उनपर अंग्रेज हकूमत ने उनपर मुकदमा चलाया और 5 जून को उन्हे फांसी सुना दी गई। इसके 31 जुलाई 1940 को उन्हे शहीद कर दिया गया। इस अवसर पर उनके साथ  शहीद उधम सिहं समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने कहा किइस अवसर पर उधम सिंह समिति के अध्यक्ष एमएस निर्मल, डॉ शुभकरण, अश्वनी कंबोज, इनेलो नेता प्रदीप कांबोज, कांग्रेस नेता कर्म सिंह खानपुर, धर्मपाल कांबोज, सुमित इंदरगढ़, डॉ अनिल कंबोज, जरनैल सिंह कंबोज, पूर्व मंत्री भीमसेन मेहता, ऋषि पाल कांबोज, अमन विर्क, संजय बुढ़नपुर, सुमेर चंद कंबोज, सुशील नंबरदार, अमित खेड़ा, सचिन, विधायक रामकुमार कश्यप के पुत्र राजेश कश्यप, पंकज कंबोज, चरणजीत, अनीता सिंह ,जयप्रकाश, अनिल नन्हेड़ा, जगमाल, परवीन जावेद खान आदि काफी लोग मौजूद रहे।