नैनीताल – फायर सीजन से पहले वन विभाग जिलाधिकारी ने दिए महत्वपूर्ण निर्देश

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रिपोर्ट -कांता पाल/नैनीताल- वनाग्नि की घटनाओं से वन्य जीव-जन्तुओं के विनाश, भू-क्षरण में वृद्धि, जल स्त्रोतों में कमी, पारिस्थितिकी असंतुलन के साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है, जिस कारण पर्यटन एवं रोजगार के साधन भी प्रभावित होते हैं। यह बात जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने गुरूवार को जिला कार्यालय सभागार में जनपद स्तरीय वनाग्नि प्रबन्धन समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक लेते हुए कही।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र वनाच्छादित हैं। मौषम परिवर्तन (क्लाइमेट चैंज) के कारण गर्मी के सीजन में वातावरण में उच्च तापमान, जंगलों में ज्वलशील पदार्थों एवं आॅक्सीजल की उपलब्धता, वायु में नमी की कमी के कारण वनाग्नि में वनाग्नि की संभावनाएं एवं घटनाएं बढ़ रही हैं, जो चिन्ता जनक है। श्री बंसल ने फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं की रोक-थाम एवं जैव विविधता के संरक्षण के लिए जनता के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने वनों में आग लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाने के साथ ही सड़कों के किनारों, पैदल मार्ग एवं पग दण्डियों के किनारों से पीरूल घास आदि नियमित रूप से हटाई जाने के भी निर्देश वन महकमे के अधिकारियों को दिए। उन्होंने वनाधिकारियों को निर्देश दिये कि वे संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर उनमें पैनी नजर रखें तथा समय से फायर लाइन काटेे व आवश्यकता पड़ने पर कन्ट्रोल फायर कार्य भी संपन्न करें। उन्होंने कहा कि वनों से लगे गांवों के चारों ओर प्राथमिकता से फायर लाइन काटें ताकि गांवों तक आग ना पहुंच सके। उन्होंने जनता से वनाग्नि की रोकथाम के लिए वनों के समीप खेतों में कूड़ा जलाते समय सावधानी बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि वनाग्नि को नियंत्रित करने व रोकने हेतु गांवों, स्कूलों स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाय। साथ ही सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ वन पंचायतों, ग्रामीण संगठनों आदि को जागरूक करते हुये साथ लेकर वनाग्नि को रोकने एवं नियंत्रण का कार्य करें। उन्होंने वनाग्नि रोकथाम हेतु सूचनाओं के त्वरित गति से आदान प्रदान के लिए व्हाट्सअप ग्रुप सक्रिय करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए।
सविन बंसल ने वनाग्नि की घटनाओं पर प्रभावनी नियंत्रण हेतु उच्च क्वालिटी की लीथियम बेट्री चालित 15 ब्लोअर तथा 15 टाॅर्च का प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश वन महकमें के अधिकारियों को दिए। उन्होंने केन्द्रीय तराई वन प्रभाव ड्रोन फाॅर्स समय से स्थापित करने के भी निर्देश वन महकमें के अधिकारियों को दिए। उन्होंने बताया कि जनपद में वनाग्नि से सम्बन्धित घटनाओं की त्वरित गति से सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए आपदा कन्ट्रोल रूम नम्बर 1077 सक्रिय है। श्री बंसल ने आपदा कन्ट्रोल रूम नम्बर 1077 के अतिरिक्त एक पीएनटी नम्बर सक्रिय करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए। श्री बंसल ने आवश्कतानुसार समय से फायर वाचरो की तैनाती करने तथा आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था करने, खान-पान का सामान समय से खरीदने के भी निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए।
जिलाधिकारी ने सम्मानित किये जाने हेतु विगत वर्ष वनाग्नि रोक-थाम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली क्रू-टीम एवं व्यक्तियों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिए।
प्रभागीय वनाधिकारी टीआर बीजू लाल ने बताया कि जनपद में कुल 6 क्षेत्रीय वन प्रभाग, 1 अक्षेत्रीय वन प्रभाग तथा कार्बेट टाईगर रिजर्व का भाग कार्यान्वित है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में जनपद में वनाग्नि की कुल 97 घटनाएं घटित हुई थी जिसमें 91.68 हैक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था। जबकि वर्ष 2019 में 351 वनाग्नि की घटनाए घटित हुई थीं, जिनमें 331.73 हैक्टर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था। उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकाल में वनाग्नि नियंत्रण हेतु 6766.69 किमी में अग्नि दाहन लाईनों की सफाई व फुकान कार्य, 2399.21 किमी मोटर रोड के दोनो ओर सफाई व फुकान, 53857.18 हैक्टेयर में नियंत्रित दाहन, 1882.02 किमी में पैदल बटिया के दोनो दोनो ओर सफाई कार्य की कार्य योजना बनाई गयी है। उन्होंने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए 246 क्रू-स्टेशन स्थापित किये जा रहे हैं। लीसा डीपो की सुरक्षा के लिए अग्नि सुरक्षा दल को लगाया जा रहा है।  वर्ष 2015 की जिला पंचायत को 843894 रूपये, ग्राम पंचायतों को 36943 तथा वन पंचायतों को 3375588 रूपये की राॅयलटी प्राप्त हुई थी। वर्ष 2016 की जिला पंचायत को 738799 रूपये, ग्राम पंचायतों को 31405 तथा वन पंचायतों को 2955595 रूपये की राॅयलटी प्राप्त हुई।