अजमेर – बीमार अस्पताल को ईलाज की जरूरत

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किशोर सिंह / अजमेर –  संभाग के सबसे बडे राजकीय महिला चिकित्सालय (जनाना अस्पताल) अब खुद बीमार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभिय्ाान के लिये  हर संभव प्रयास कर रहे हो, लेकिन अस्पताल प्रशासन स्वय मोदी के मिशन को असफल करने में कोई कोर कसर नही छोड रहा है।  अस्पताल में पीने के पानी से लेकर डाॅक्टर तक पहुंचने मरीजो को संघर्ष करना पड रहा है।
राजकीय महिला चिकित्सालय में वैसे तो संभाग का सबसे बडा महिला चिकित्सालय है, लेकिन यहा की व्यवस्थाओ की बात की जाये  तो यह अस्पताल गांव की सरकारी डिस्पेंसरी भी बदत्तर हालत में है। अच्छी चिकित्सा सुविधा लेेने संभाग के दूर दराज गांवो से आने वाले ग्रामीण यहा आते है, लेकिन यहा के हालात ओर व्यवस्थायो  उन्हे बेहत्तर चिकित्सा उपलब्ध तो नही करवा पाते, लेकिन दूषित पानी से होने वाले डायरिया , पेट दर्द, मलेरिया आदि बीमारियां  मुपत में जरूर मिल जाती है।
जनाना अस्पताल में प्रवेश करते ही सामने एक ठंडे पानी की मशीन जरूर लगी है, दूर दराज से आने वाले रोगी मशीन को देखकर खुश तो जरूर होते है, लेकिन मशीन से आना वाला गर्म पानी चालीस डिग्री तापमान में उनकी प्यास  नही बुझा  पाता। मानो मशीन से निकलने वाला पानी ऐसा लगता है जैसे किसी हिटर पर गर्म किया  हो। मजबूरी मे रोगियो  ओर उनके परिजन को अस्पताल के बाहर संचालित निजी दुकानो से 15 से 20 देकर अपनी प्यास बुझानी पडती है।
ऐसा नही है कि अस्पताल में सिर्फ पानी ही एक बडी समस्या  है। अस्पताल में फैली गंदगी व शौचालयो  के हालत ऐसे है जैसे आप किसी अस्पताल में नही सार्वजनिक सुलभ शौचालयो  में हो।
किराए का पंखा लाने को मजबूर— जनाना अस्पताल में जनरल वार्ड के हालात भी अच्छे नही है, यहां चलने वाले पंखे अस्पताल की व्यवस्थाओ को कोसते हुये  नजर आते है, जिसके चलते रोगी अपना पंखा या  तो घर से साथ लाते है य्ाा फिर किराऐ से लेकर आना पडता है।

समाज सेवी कर रहे है अपने स्तर पर प्रयास अस्पताल मे वही दूसरी ओर मरीजो व उनके परिजन को ठंडे पानी से राहत देने के लिये  एक समाज सेवी द्वारा अपने नीजी स्तर पार्किग  के पास ठंडे पानी के 7-8 मटको की अपने नीजी स्तर पर कर रखा है, जिसके कारण मरीजो यहा से ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझा  रहा है।