आज – एक सीख लेने की कहानी, एक अनोखा गाँव जहाँ पेड काटने पर लगता है जुर्माना

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किशोर सिंह/ अजमेर – जी हाँ आज हम एक ऐसे ही एक अनूठे गाँव की बात कर रहे है जिसका नाम है “होंकरा ” यह गाँव ब्रम्हा की नगरी पुष्कर के समीप बना हुआ है ! और इस गाँव की मिसाल दी जाती है पर्यावरण को लेकर , इस गाँव में नीम को “नारायण” का दर्जा दिया गया है  यूँ  तो पूरी दुनिया में कई ऐसे संगठन है जो पर्यावरण संरक्षण की बात करते है लेकिन जमीनी स्तर के हालात से सभी वाकिफ है ..आज इस इलाके में डेढ़ लाख से अधिक नीम के पेड़ है ..यह गाँव है अजमेर जिले के होकरा गाँव में  …यह  गाँव ऐसे है जहाँ  नीम के पेड को भगवान् का दर्जा दे कर उनके काटे जाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है …और इस परम्परा का निर्वहन गाँव के लोग कई वर्षो से कर रहे है l

अजमेर से महज ग्यारह किलोमीटर की दुरी पर है होकरा नाम का यह गाँव और उसके पास बना पदमपुरा गाँव है  ….इन दोनों गाँवो की  आबादी मात्र  दस  हजार है और सब से बड़ी बात की यहाँ रहने वाले हिन्दू हो या मुसलमान सभी के लिए  देवता का दर्जा रखता है नीम का पेड़  ..कहने और सुनाने में अजीब जरुर लगता है लेकिन यह सत्य है की यहाँ रहने वाले अपने इस देवता की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है ..इस गाँव में नीम के पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने की पूरी तरह से पाबन्दी है..इस के लिए बाकायदा सामाजिक कानून बना  कर लागू किया गया है  ..यदि किसी को नीम का पेड़ काटने या छंगने की जरुरत भी है तो उस के लिए गाँव के बुजुर्गो की कमेटी  बनी हुई है वही कमेटी तय  करती है की नीम की किसी डाल  को काटे जाने की जरुरत है या नहीं ..यदि जरुरत महसूस होती है तो फिर सम्बन्धित व्यक्ति से इस के लिए जुर्माना वसूल किया जाता है ..बाद में इस जुर्माने की राशि से गाँव के मंदिर में विकास कार्य करवाए जाते है या फिर उस राशि से पक्षियों को दाना डाला जाता है l

नीम के पेड़ के संरक्षण की इस परम्परा के पीछे कुछ एतिहासिक तथ्य भी जुड़े है ..गाँव के बुजुर्ग बताते है की पर्यावरण संरक्षण का यह सदियों पहले सम्राट पृथ्वीराज चौहान के काल में लिया गया था ..बाद में जब यह गाँव जोधपुर रियासत का हिस्सा बने तो तत्कालीन जागीर को रियासत का फरमान मिला की राठौड़ वंश के पूजनीय होने के कारण  नीम के वृक्ष को संरक्षित किया जाए ..सदियों पुरानी इस परम्परा को निभाने के लिए यहाँ के ग्रामीणों ने बुढा पुष्कर के पवित्र जल को हाथ में जल ले कर शपथ ली की पूरा गाँव नीम को देवता मान कर उस की रक्षा करेगा ..इस गाँव के बाशिंदे आज भी उस शपथ को निभा रहे है ..इस गाँव में जो भी नीम पर कुल्हाड़ी चलाने की कोशिश करता है उसे पुरे गाँव के विरोध का सामना करना पड़ता है ..बात केवल जुर्माने तक ही सीमित नहीं है ..बुजुर्ग बताते है की बात नहीं मानाने वाले को गाँव से और समाज से बहिष्कृत किये जाने का भी प्रावधान है l

आज इस गाँव में नीम के पेड़ो की संख्या लाखो के आंकड़े को पार कर चुकी है .अजमेर जिले की खोरी ग्राम पंचायत के सरपंच प्रताप सिंह रावत से जब इस विषय में बात की गई तो उन्होंने बताया की  नीम के पेड़ के काटे जाने पर इस गाँव में पाबंदी है अगर किसी द्वारा यह बात नहीं मानती जाती तो पंचो द्वारा उस व्यक्ति  पर 5100 या फिर 1100 रूपए का दंड किया जाता है  यही कारण है की सदियों पुरानी ये परम्परा अब इस गाँव की जीवन पद्धति का हिस्सा बन चुकी है ..ख़ास बात यह है की इस अनूठी परम्परा के चलते इस गाँव में जिले के अन्य गाँवो की अपेक्षा तापमान में गिरावट भी महसूस की जाने लगी है ….खुबसूरत पहाडियों की तलहटी में बसे इस गाँव की और अब शहर के लोग भी आकर्षित होने लगे है …शहरियों ने यहाँ बड़ी संख्या में यहाँ अपने फार्म हाउस आबाद किये है ..कई होटल खोलने की बातें कर रहे है  …कहने को इस गाँव में बहुत कुछ बदल रहा है ..लेकिन नहीं बदली जा रही है तो नीम को नारायण मानने की परम्परा …यहाँ अपना फार्म हाउस बनाने वाले गजलकार सुरेन्द्र चतुर्वेदी बताते है की जब उन्होंने यहाँ जमीं ली तो ग्रामीणों ने उनसे भी इस परम्परा की पालना की शपथ दिलवाई .चतुर्वेदी का मानना है की इस परम्परा के पीछे केवल गाँव के पूर्वजो की किसी शपथ की प्रतिबधता ही नहीं है ..इस परम्परा के कुछ और भी मायने है ..वे बताते है की नीम को ही संरक्षण शायद इस लिए भी है क्यों की ओषधिय गुणों से भरपूर नीम की वजह से ही यह गाँव आज बीमारियों से दूर है ..हार्ट अटेक..डायबिटीज जैसे बीमारियों के पीड़ित इस गाँव में ना के बराबर है साथ ही इस गाँव में छोटी मोटी बीमारियों का उपचार भी नीम से ही कर लिया जाता है l

गाँव की यह अनूठी परम्परा उन पर्यावरण संरक्षण करने के खोखले दावे करने वाली संस्थाओं के लिए सीख हो सकती है जो वतावनुकुलित कमरों में बेठ कर  प्लान बनाने और लागू करने की कोशिश करते है ..गाँव की यह परम्परा बता रही है की यदि इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है l