आज विद्यालयों में किताबी व तकनीकी ज्ञान तो बहुत है , मगर बच्चों में संस्कारों का अभाव – आचार्य देवव्रत

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नीलोखेडी – वर्तमान समय में जीवन को गति देने के लिए आधुनिकता जितनी आवश्यक है उतनी ही जरूरी है अपनी पारम्परिक जीवन पद्धति। आधुनिकता यदि बाहरी दृश्य को सुन्दर बनाती है तो वही पारम्परीक जीवन शैली आन्तरिक जीवन को समुन्नत करती है। उपरोक्त शब्द गुरूकुल नीलोखेडी के 15 करोड की लागत से नव-विस्तारित भवन के लोकार्पण समारोह एवं 280 किलोवॉट सौर उर्जा संयन्त्र के उद्घाटन समारोह पर उपस्थित बच्चों और उनके अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहे ।

उन्होने कहा कि वर्तमान समय में गुरूकुलीय शिक्षा प्रणाली अति आवश्यक है क्योकि आज विद्यालयों में किताबी व तकनीकी ज्ञान तो बहुत दिया जा रहा है, मगर हमारे बच्चो में संस्कारों का अभाव है। संस्कारहीन युवा न समाज के लिए उपयोगी है और न ही देश व दुनिया के लिए। अत: बच्चो में उन्नत संस्कारों का होना अति आवश्यक है। जो केवल गुरूकुल शिक्षा प्रणाली से ही सम्भव है। गुरूकुल नीलोखेडी आधुनिक और पारम्परिक शिक्षा पद्धति का अनूठा संगम है।

मुख्यअतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा कि आधुनिक युग में संस्कारो के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा की महती आवश्यकता है जो बच्चो को गुरूकुल कुरूक्षेत्र और गुरूकु ल नीलोखेडी जैसे आधुनिक गुरूकुलो में दी जाती है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि स्वामी दयानन्द ने गुुरूकुलीय शिक्षा पद्धति पर जोर दिया। आर्यसमाज और ऋषि दयानन्द का बहुत बडा योगदान समाज और राष्ट्र के उत्थान में रहा है। गुरूकुल नीलोखेडी में बच्चो को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ आर्यसमाज के सिद्धान्तो सहित मानवीय मूल्यों का पूरा ज्ञान दिया जा रहा है, जो एक उन्नत प्रयास है।

समारोह में उपस्थित माइक्रोटैक एंड ओकाया पावर प्रा.लि.के  निदेशक सुबोध गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वे माता-पिता बड़े भाग्यशाली है जिनके बच्चे गुरूकुल नीलोखेडी में अध्ययन कर रहे है। उन्होने कहा कि गुरूकुल में बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चो को शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान भी गुरूकुलों  मे प्रदान किया जाता है ताकि वे सभ्य नागरिक बनकर सभ्य समाज का निर्माण करे और राष्ट्र को उन्नति  की ओर ले जाएं। उन्होने कहा कि हम सभी का यह प्रयास रहता है कि हमारा बच्चा अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करें मगर उसमें उच्छे संस्कारआएं इस ओर किसी का ध्यान नही है। अच्छे संस्कारो  के अभाव के कारण ही वर्तमान में युवा पथभ्रमित होकर नशाखोरी व अन्य अपराधों की ओर जा रहे है। यदि हमें आने वाली पीढी को  सभ्य और उन्नत बनाना है तो नि:सन्नदेह हमें गुरूकुल शिक्षा प्रणाली को अपनाना होगा।

समारोह को गुरूकुल नीलोखेडी के निदेशक डॉ. राजेन्द्र विद्यालकार, जगदीश आर्य, शिव कुमार आर्य ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर सभी अतिथियों का गुरूकु ल नीलोखेडी की ओर से शॉल व स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।