इन्द्री में शहीद उधम सिहं का बलिदान दिवस समारोह मनाया गया

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इन्द्री – इन्द्री में शहीद उधम सिहं समिति के आहवान पर आज शहीद-ए-आजम उधम सिहं का 77वां बलिदान दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में सभी वर्ग, धर्म व सियासी दलों के नेताओं ने शहीद के चरणों में पुष्प अर्पित कर उन्हे याद किया। शहीद उधम सिहं समिति ने आज फिर सभी सियासी दलों, सभी बिरादरी, संगठनों व धर्मो के लोगों को एक मंच पर लाकर इतिहास रचा। इस समारोह की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने की। समारोह में बड़ी संख्या  में लोग शहीद को नमन् करने पहुंचे। इस अवसर पर शहीद उधम  सिंह की जीवनी पर प्रसिद्ध गायक ईश्वर शर्मा एण्ड पार्टी ने गीत गाकर लोगों में जोश भर दिया। हर वर्ष की भान्ति इस बार भी शहीद उधम सिहं के बलिदान दिवस समारोह हवन-यज्ञ और पूजन के साथ शुरू हुआ और शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद प्रसाद वितरण पर कार्यक्रम का समापन हुआ।

इस अवसर पर  एम एस निर्मल ने कहा कि शहीद उधम सिहं जी का जीवन सघंर्ष से भरा हुआ था उन्होंने  देश के लिए अपने प्राणों की आहूति देकर लोगों में देशप्रेम की प्रेरणा  का संचार किया। शहीद उधम सिहं का जन्म 26 दिसबर 1899 को पंजाब के सुनाम कस्बे में साधारण किसान टहल सिहं के घर में हुआ। उधम सिहं के बचपन में मां का निधन हो गया। इसके बाद पिता और भाई का भी साया उनके सिर से उठ गया। अनाथ हुए शहीद उधम सिहं को अमृतसर के अनाथ आश्रम में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। जब उधम सिहं ने जवानी की तरफ कदम रखा तो 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में अंग्रेज हकूमत के  गवर्नर माईकल ओयडवायर और जरनल डायर ने देश में आजादी की लड़ाई लडऩे वाले लोगों पर बैसाखी के पर्व के दौरान इकटठे हुए निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा खूनी होली खेली। इस दृष्य से उधम सिहं का खून खोल उठा तथा वहीं पर खून से सनी मिट्टी को उठकर इस घटना के दोषियों को सजा देने का निर्णय ले लिया। इसके लिए वह इग्ंलैण्ड गए और भरी जनसभा में ही दोनो हत्यारों को मौत के घाट उतारने का इंतजार करते रहे। आखिरकार वह दिन आ गया जिस की वह इंतजार में तडफ़ रहे थे। 13 मार्च 1940 को कि ग्ंसटन हाल में एक जनसभा हो रही जनसभा में उसमें ओयडवायर को हिन्दुस्तानियों की हत्या करने की  सेखी पधारने मौत के घाट उतार कर भारतीयों के खून का बदला ले लिया। इस महान काम पर उनपर अंग्रेज हकूमत ने उनपर मुकदमा चलाया और 5 जून को उन्हे फांसी सुना दी गई। इसके 31 जुलाई 1940 को उन्हे शहीद कर दिया गया। शहीद उधम सिहं समिति के अध्यक्ष एम एस निर्मल ने कहा कि शहीद उधम सिहं ने देश के निर्दोष लोगों की हत्या करने से वालों से विदेश में जाकर बदले उधम सिहं की कुर्बानी को देखते हुए उन्हें शहीदों में उच्च स्थान हासिल किया। उन्होंने कहा कि शहीद उधमसिंह की तरह देश पर प्राण न्यौछावर करने वालों को शहीद उधमसिंह समिति नमन् करती है। इस मौके पर शहीद दिवस समरोह की सफलता के लिए सहयोग करने वाले अनाज मण्डी के प्रधान रघुबीर बतान, समाज सेवी जसपाल बैरागी, कृष्ण काबोज, जोगिन्द्र काबोज, जयप्रकाश काबोज, सुमेर काबोज, प्रदीप सरपंच, सचिन बुढऩपुर, अश्विवनी काबोज, नरेश कलरी जागीर, पूर्व सरपंच विनोद काबोज का समिति की तरफ से आभार जताया गया। इस मौके पर पूर्व मन्त्री भीम मैहता, पूर्व विधायक राकेश काबोज, कांग्रेस
के नेता कर्मसिंह खानपुर, डॉक्टर सुनील पंवार, सचिन बुढऩपुर, काबोज सभा के इन्द्री के प्रधान सुमेर काबोज, इनेलो नेता इन्द्रजीत सिंह गोल्ड़ी, मेहन्द्र सैनी, भाजपा नेता नन्द लाल बत्तरा, अनाज मण्डी के पूर्व प्रधान
रामपाल चहल, मेग राज काला, भाजपा नेता महेन्द्र प्रेमी, शशी काबोज, सोमनाथ, मेमपाल फाजिपुर, नरेश कुमार, सरपंच जोगिन्द्र गढ़पुर, बीडीपोओ राजकुमार, मार्किट कमेटी के सचिव सुन्दर लाल काबोज, नगरपालिका सचिव प्रवीन कुमार, राजकुमार, ग्रामसचिव मुकेश कुमार, रमेश सैनी, पार्षद सुरेश अनेजा, मेमपाल कश्यप, अमित सरोह, नरेन्द्र धूमसी आदि मौजूद थे।