कमांडेंट इकबाल के रोजा रखने की वजह से नाकाम हुआ लश्कर का हमला

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श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में सोमवार को सुरक्षाबलों ने चार आतंकियों को ढेर कर दिया. ये आतंकी सम्बल स्थित सीआरपीएफ शिविर में घुसने का प्रयास कर रहे थे. सुबह सवेरे 4 बजे के आसपास ये घटना हुई. आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने में सीआरपीएफ कमांडेंट इकबाल अहमद ने अहम भूमिका निभाई I

सीआरपीएफ जवानों ने बांदीपोरा के संबल कैंप पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में सफलता हासिल की, इसके बाद से ही जवानों की बहादुरी के चर्चे हैं। इस आतंकी हमले को नाकाम करने में कई फैक्टर काम आए। ऐसा ही एक फैक्टर था कमांडेंट इकबाल अहमद का रोजा रखना। कमांडेंट इकबाल के पास 45 सीआरपीएफ बटालियन की कमांड थी। बहादुर जवान चेतन चीता को गोली लगने के बाद इकबाल को कमांड मिली थी। इकबाल अहमद सहरी करने के लिए जल्दी उठ गए  थे. रोज़ा रखने के लिए वो सवेरे खाना खाने की तैयारी कर रहे थे.

अचानक उनका वायरलेस बज उठा और  उनके वायरलेस पर आतंकियों के घुस आने की सूचना आई I वायरलेस पर उनको जानकारी मिली कि कैंप पर आतंकी हमला हो गया है। सहरी छोड़ वह अपनी असॉल्ट राइफल लेकर नजदीकी कैंप की ओर भागे। वहां लश्कर-ए-तैयबा के 4 आतंकी कैंप पर हमले को अंजाम दे रहे थे। हमले की सूचना मिलते ही त्वरित प्रतिक्रिया और तत्काल पहुंची मदद ने आतंकियों को नाकाम कर दिया। हमला नाकाम होने की वजह से कई जवानों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। जिस समय कमांडेंट इकबाल को वायरलेस पर सूचना मिली वह संबल कैंप से करीब 200-300 मीटर की दूरी पर थे। रमजान के दौरान रोजा रखे अफसर इकबाल मौके पर तुरंत पहुंचे और तबतक रुके रहे जबतक चारों आतंकियों को मार नहीं गिराया गया।