करनाल – संस्कृति और प्रकृति को संजोए रखने का माध्यम है पौधागिरी : मुख्यमंत्री

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करनाल – मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण की एक नई पहल में बच्चों के माध्यम से करनाल में पौधागिरी कार्यक्रम का आगाज किया और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनाते हुए पौधे वितरित किए। जनता को भी विकास के साथ-साथ सामाजिक सहभागिता से जोडऩे के कई कदम जैसे जल बचाओ, राहगिरी, स्वच्छता जैसे कई अभियान चलाए हैं जिसमें पौधागिरी भी अपने आप में अहम है। इन अभियानों को चलाने के पीछे केवल मुख्यमंत्री का एक ही उद्देश्य है कि जनता को यह जानकारी देना कि न केवल बड़ी बिल्डिंग, उद्योग व सडक़ें बनाकर विकास को बढ़ावा दिया जाता है बल्कि अपनी संस्कृति और प्रकृति को बचाना भी विकास का एक अहम रास्ता है।
प्रदेश में मुख्यमंत्री ने पौधागिरी कार्यक्रम छठी से बारहवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों के माध्यम से आगे बढ़ाने का कार्यक्रम बनाया है, इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी स्कूली बच्चों में काफी उत्साह है। गुरुग्राम, जींद व करनाल में पौधागिरी के सफल कार्यक्रम मुख्यमंत्री की देखरेख में हजारों बच्चों के बीच में हो चुके हैं। पौधागिरी भविष्य का विकास माना जाता है, जब हमारा पर्यावरण ही शुद्ध नहीं होगा, पानी नहीं बचेगा, ऑक्सीजन की कमी रहेगी तो अन्य भौतिक विकास किस काम का। इसके लिए मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों को पौधा लगाने व उसका 3 साल तक अपने परिचय के साथ संरक्षण करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री की यह योजना यदि आज शुरूआती दिनों में सफल होती है तो अंतिम छोर तक पहुंचने तक प्रदेश में और करीब 20 लाख पेड़-पौधे हमारी प्रकृति में जुड़ेंगे, चारों तरफ हरियाली का माहौल होगा, वातावरण में ताजगी होगी और मनुष्य का जीवन स्वस्थ व स्वच्छ बनेगा। मुख्यमंत्री की इस पहल से बच्चों में कुछ प्रकृति के प्रति शुरूआती तौर करने की इच्छा पैदा होगी और सरकार द्वारा एक बच्चे का प्रोत्साहन के रूप में 3 साल तक प्रत्येक छ: माही में 50 रुपये दिए जाएंगे यानि कि एक बच्चे को वृक्ष का सरंक्षण करने के लिए 300 रुपये मिलेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि 300 रुपये बच्चे के जीवन में चाहे कुछ मायने न रखें परंतु उन्होंने समाज की भलाई के लिए प्रकृति में वृक्ष का बालक की तरह  जो पालन किया है वह वाकई समाज हित की सबसे बड़ी दौलत है। इसके लिए मुख्यमंत्री अपने कार्यक्रम के माध्यम से पौधागिरी को आम जनता से जोडऩे के लिए एक शपथ भी दिलाते हैं कि ‘जागेंगे, जगाएंगे, यह सबको बतलाएंगे, पौधे खूब लगाएंगे, पालेंगे, पोसेंगे, पेड़ इन्हें बनाएंगे, आज इन्हीं के नन्हें मित्रों को हम वृक्ष बनाएंगे और अपने वातावरण को हरा-भरा चमकाएंगे’।