कला साधक ही बन सकते है नए भारत के शिल्पी – राजनाथ

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कुरुक्षेत्र –  केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कला साधक ही नए भारत के शिल्पी बन सकते हैं। इस राष्ट्रीय संकल्प को साकार करने की दिशा में कला जगत से जुड़े कलाकार बड़ी प्रेरणा देने का काम करेंगे। इतना ही नहीं इस समाज के हर वर्ग और विशेष रुप से प्रबुद्ध वर्ग में कलाकारों का विशेष महत्व हैं। इसलिए नए भारत का क्या स्वरुप बने इस पर कला जगत को खुलकर अपनी बात कहने की जरुरत है।

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को श्रीमदभगवद गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्कूल के प्रांगण में संस्कार भारती द्वारा हरियाणा प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन अवसर पर आयोजित 3 दिवसीय अखिल भारतीय कलासाधक संगम के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे। इससे पहले केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी, हरियाणा की कला एवं संस्कृति मंत्री कविता जैन, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. वासुदेव कामत, संस्कार भारती के सरंक्षक योगेन्द्र, पदम विभूषण सोनल मान सिंह, पदमभूषण डा. पदमा सुब्रह्मणयम ने शंखनाद के बीच दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रुप से अखिल भारतीय कला साधक संगम कार्यक्रम का उदघाटन किया।

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर संस्कार भारती के कलासाधक संगम कार्यक्रम की प्रंशसा करते हुए कहा कि ये कला साधक जहां अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा-क्षमता का प्रदर्शन करेंगे वहीं एक-दूसरे से सम्पर्क और संवाद करके अपनी प्रतिभा का संवर्धन भी करेंगे। भारतीय परम्परा में कला को साधना की मान्यता प्राप्त हैं। यह संयोग नहीं हैं कि जिस नाट्य शास्त्र को भारतीय कला की आदि पुस्तक/पहली पुस्तक  के रुप में जाना है उसके रचनाकार भारत मुनी एक साधक व संत भी थे। 2 हजार वर्षो से भी अधिक पुराने नाट्य शास्त्र को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कला प्रदर्शन की गीता कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। चूंकि यहां कला साधकों समागम हो रहा हैं, इसलिए मैं यहां पर रसों की चर्चा करना चाहूं गा।
उन्होंने कहा कि कला के प्रदर्शन से रस की उत्पति होती हैं और भारत मुनि ने नाट्य शास्त्र में लिखा है कि रस 9 प्रकार के होते हैं, यह नवरस दिखते नहीं हैं, मगर हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में इनका अनुभव करता हैं। कला एक ऐसी विधा हैं जो अदृश्य को सदृश्य और अनकहे को कह देना सम्भव बनाती हैं। कला समाज को प्रभावित करती हैं और समाज से प्रभावित भी होती हैं। कला और समाज एक दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते। कला किसी भी समाज की ऐसी स्मृति हैं जो समाज को एक पहचान देती हैं। भारतीय कला जगत की समृद्धि की तुलना केवल अंतरिक्ष से की जा सकती हैं, जिसका ओर-छोर देख पाना असंभव हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने नाट्य शास्त्र की चर्चा की और उसे विश्व के सभी कलाकारों की गीता संज्ञा दी। मगर कला के संसार की जो सबसे बड़ी कृति है, महाभारत जो जीवन के हर पहलु को इतने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं कि हजारों साल बीत जाने के बावजूद उसकी प्रासंगिकता समाप्त नहीं हुई हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि महाभारत एक महान कृति हैं तो भगवान श्रीकृष्ण को भारतीय परम्परा में सबसे ज्यादा पारंगत कलाकार माना गया हैं। भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं में परांगत एकमात्र पुरुष हैं। यहीं कारण है कि उन्हें पूर्णावतार की संज्ञा दी गई हैं। भगवान श्रीकृष्ण की लीला केवल कलात्मक ही नहीं बल्कि गूढ़ दार्शनिक अर्थ भी रखती हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा जो सबसे बड़ा ज्ञान दिया गया, वह गीता ज्ञान इसी कुरुक्षेत्र धरती से दिया गया हैं।
उन्होंने कहा कि कला केवल मनोरंजन तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, कला मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणादायी भी होनी चाहिए। कला ऐसी हो जो प्रेरणा दे और समाज को उत्कर्ष करे। आज का युग नई तकनीक, संचार क्रांति और कम्पयूटर का युग हैं। जब हम परिर्वतन या सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बात करते है तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका कला की होती हैं। यूरोप में जब पुनर्जागरण हुआ तो उसका नेतृत्व चित्रकारों, मूर्तिकारों, कलाकारों, नाटककारों एवं लेखकों ने किया। उन्होंने समाज को झकझोरा और परिवर्तन का अलख जगाया। भारत में 19वीं शताब्दी में जब सांस्कृतिक पूनर्जागरण देखा गया, उसका नेतृत्व समाज सुधारकों ने किया।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि 1942-1947 के बीच के 5 वर्ष आजादी के आंदोलन में निर्णायक माने जाते हैं, क्योंकि इस दौरान जो कुछ इस देश में घटा उसने गुलाम भारत को आजाद भारत में बदल दिया। आज भारत आजाद है मगर ना जाने कितनी समस्याएं है जिनसे आज भी भारत जूझ रहा हैं। गरीबी, आंतकवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद और न जाने कितनी सामाजिक कूरीतियों से भारत को अभी तक जूझना पड़ रहा हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए भारत के निर्माण का एक संकल्प लिया है, जिसमें यह लक्ष्य रखा गया है कि 2022 तक भारत की आजादी के 75 वर्ष तक भारत को गरीबी, भ्रष्टाचार, आंतकवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद से मुक्ति दिलानी हैं। यह काम केवल राजनैतिक सक्रियता से सम्भव नहीं हैं।
राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि संस्कार भारती के इस कार्यक्रम में आत्मा के सम्र्पूण दर्शन करवाए गए हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर हो रहा हैं। इस पावन धरा का महत्व पूरे विश्व में है और कुरुक्षेत्र ने अध्यात्मिक राजधानी के रुप में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। राज्य सरकार हरियाणा प्रदेश का स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है जिसका शुभारम्भ गुरुग्राम से हुआ और समापन समारोह 31 अक्टूबर को हिसार में होगा। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा पूरे देश की संस्कृति का नेतृत्व कर रहा है और कुरुक्षेत्र से ही भारत की पहचान हैं। इसी पावन धरा पर बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के किनारे सभ्याताओं का जन्म हुआ, वेदों की रचना की गई और सृष्टि की उत्पति भी इसी पावन धरा से हुई। इस पावन धरा पर कलासाधक संगम कार्यक्रम में देशभर की संस्कृति को देखने का अवसी मिलेगा और इस कार्यक्रम की प्रदर्शनियों में हरियाणा की संस्कृति के दर्शन भी सहजता से हो रहे हैं।
पदम विभूषण सोनल मान सिंह ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पवित्र धरती से ही पूरे विश्व को एक सनातन संदेश दिया गया। इस देश की संस्कृति विश्व में भारत की पहचान बनाती हैं और संस्कृति ही समाज का प्राण होती हैं। संस्कृति के बिना देश विरान समझा जाता हैं। उन्होंने कहा कि कलाकार, कलाकार ही होता है, अपना पूरा जीवन लोक कल्याण को समर्पित कर देता हैं। इसलिए कलाकारों और कला को ओर प्रोत्साहन देने की जरुरत हैं। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन सम्पूर्ण सिंह ने किया। इस मौके पर लाडवा के विधायक डा. पवन सैनी, संस्कार भारती के प्रांतीय अध्यक्ष अजय शर्मा, राष्ट्रीय मंत्री व महाप्रंबधक चंद्रकांत खरोटे, मातृशक्ति प्रमुख डा. रिचा गुप्ता, जिला परिषद के चेयरमैन गुरदयाल सुनहेड़ी, भाजपा के जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, भाजपा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य जयभगवान शर्मा डीडी, स्थानीय प्रमुख विजयंत बिंदल, स्थानीय संयोजक नरेन्द्र शर्मा, प्रांतीय कोष प्रमुख राकेश, सहमहामंत्री अभिषेक गुप्ता, आरएसएस के विभाग कार्यवाहा डा. प्रीतम सिंह, आरएसएस के जिला कार्यवाहा डा. रिषीपाल मथाना, विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डा. रामेन्द्र सिंह, क्षेत्रिय प्रमुख सतीश पालीवाल, संगठन मंत्री अशोक तिवारी, हरियाणा कला परिषद के उपाध्यक्ष सुदेश शर्मा, मैक के मुख्य सलाहकार महेश जोशी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति और अधिकारीगण मौजूद थे।