गिर कर उठने वाला हारा हुआ नहीं होता – उपायुक्त

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करनाल – जिंदगी के किसी मोड़ पर गिरने वाले व्यक्ति को हार गया मान लिया जाता है, लेकिन गिर कर उठने वाला हारा हुआ नहीं होता। एक खिलाड़ी की भी कमोबेश यही स्थिति होती है। जब खिलाड़ी मुकाबला करते-करते गिर जाए, तो लगता है कि वह हार गया, लेकिन यदि वह गिर कर उठ जाए और दोबारा मुकाबला करे, तो उसकी हार नहीं मानी जाती। उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने आज जिला जेल के निरीक्षण के दौरान कैदियों को संबोधित करते हुए यह संदेश दिया। उन्होने कहा कि किसी भी गलती के लिए प्रायश्चित कर लेना चाहिए और भविष्य में उसकी पुर्नावृति ना हो ऐसा संकल्प लेना चाहिए।

उन्होने निरीक्षण के दौरान करीब अढाई घण्टे जेल में बिताकर वहां की गतिविधियों में सुरक्षा पहलुओं को भी देखा, जो ठीक पाए गए। इस दौरान कैदियों  की समस्याएं भी सुनी और उनके स्वास्थ्य के देखभाल के लिए किए गए इंतजामों को देखने के साथ-साथ वहां नियुक्त चिकित्सकों से भी बात की। उन्होने कैदियों  को बताया कि उनके पैरोल का कोई आवेदन उपायुक्त कार्यालय में पैंडिंग नहीं है। भविष्य में भी जो कैदी अपने पारिवारिक कारणों से पैरोल पर जाना चाहेगा, उसकी वैरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद पैरोल स्वीकृत कर दिया जाएगा।
डॉ. आदित्य दहिया जैसे ही निरीक्षण करने जिला जेल पंहुचे, उन्होने सर्वप्रथम कैदियों  द्वारा बनाई गई खूबसूरत रंगोली देखने के बाद उनके परिजनों की मुलाकात का तरीका और उसके कम्यूट्रीकृत रिकॉर्ड को देखा। इसके पश्चात उन्होने महिला एवं पुरूष कैदियों  की अलग-अलग बैरकों का निरीक्षण किया। कीचन, क्योस्क व कैन्टीन तथा उसमें रखे सामान बारे जानकारी ली। बता दें कि करनाल जेल में छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए कैदियों  द्वारा अपने परिजनो से लेने वाले खर्चे से लेकर कैन्टीन से सामान खरीदने तक सारा प्रबंध कैशलेस किया गया है, जिसकी जिला मजिस्ट्रेट ने सराहना की।
उन्होने जेल में बनाए गए मैडिटेशन सैंटर, कैदीयों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाने वाली फैक्ट्री, पावर लुम, बेकरी, महिलाओं के लिए सिलाई प्रशिक्षण तथा पुरूषों के लिए कम्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र, छोटे बच्चों की परवरिश के लिए बनाए गए क्रैश को देखा तथा कैदियों  की पढ़ाई के लिए इग्नू सैंटर की जानकारी ली, जहां से बहुत से कैदी मैट्रीक के बाद आगे की पढ़ाई कर चुके हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने कुछ कैदियों  द्वारा पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी डिग्रीयां भी वितरित की। बता दें कि जेल में अधिकतर गतिविधियां पी.पी.पी. मोड़ में करवाई गई हैं, जो सफल हुई हैं।
इससे पूर्व जिला जेल अधीक्षक शेर सिंह ने जिला मजिस्ट्रेट का स्वागत किया और जेल में किए गए सुरक्षा प्रबंधो तथा सुधारों से अवगत कराया। जेल अधीक्षक ने बताया कि वर्तमान में यहां 2378 इन्मेट्स रह रहे हैं, जिनमें एक सौ महिला कैदी हैं। जेल की क्षमता 2434 की है। उन्होने करनाल जेल के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि यहां 1870 तक का रिकॉर्ड उपलब्ध है। समय-समय पर कैदीयों की समस्याएं पूछी जाती हैं और उनका यथाउचित समाधान करवाया जाता है।