किशोर सिंह /अजमेर – बेघर होने का सितम सिर्फ सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे रात गुजारना ही नहीं है बल्कि बेघर बच्चे नशे में डूबते जा रहे हैं। जैसे जैसे ठंड बढ़ रही है इनके नशे का डोज भी बढ़ रहा है। कुछ बच्चे अल्कोहल पीकर रात गुजार रहे हैं और ज्यादातर बच्चे सॉल्यूशन ,वाइटनर का नशा कर रहे हैं। इन बच्चों से को इसकी इतनी लत पड़ चुकी है वह चाहकर भी इसे नहीं छोड़ सकते। इनका कहना है कि सल्यूशन लेकर इन्हें ठंड का एहसास नहीं होता और इससे एनर्जी मिलती है। बेघर बच्चे वाइनटनर को सल्यूशन कहते हैं।
जब हम अजमेर स्टेशन पहुंची तो कई ऐसे बच्चे मिले जो नशा कर रहे थे। हमें देखते ही छुपने लगे। जब हमने इनसे बात की तो कुछ बच्चे बात करने की स्थिति में भी नहीं थे। कुछ को लगा कि हम इन्हें स्टेशन से भगाने आए हैं और वह हमें घूर-घूर कर देखने लगे। जब बात आगे बढ़ाई तो एक बच्चे ने कहा कि हम नशा नहीं करते हैं हम तो सिर्फ सल्यूशन लेते हैं। उसने अपने कांपते हुए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर यह भी नहीं लूंगा तो हाथ गर्म ही नहीं होते। कूड़ा बीनने वाले एक बच्चे ने माना कि उसे नशे की आदत हो गई है, वहीं अकेले कोने पर बैठे एक बच्चे ने हमें देखकर अपना माल छुपा लिया।
अजमेर की सड़कों पर नशे की चपेट में बचपन जूझता हुआ नजर सा आ रहा है इन तस्वीरों से साफ हो जाएगा कि नशे की लत में नाबालिक बच्चे किस तरह ओझल होते जा रहे हैं आने वाली युवा पीढ़ी को यह नशा धीरे – धीरे साफ करता जा रहा है इस पर शिकंजा कैसे कसा जाए यह एक सोचनीय विषय है।
रेलवे स्टेशन पर घूमते यह नाबालिक बच्चे साफ तौर पर सोल्यूशन पीते नजर आ रहे हैं जो एक खतरनाक नशा है जिसकी लत काफी भयंकर है जिसका सेवन सड़क पर घूमते यह नाबालिक बच्चे खुलेआम करते नजर आ रहे है !
क्या है डॉ की राय :-
डॉ माधवगोपाल अग्रवाल ने बताया की सोलुशन का नशा काफी खतरनाक है इस नशे के कारण होने वाली गंभीर बिमारी की जानकारी देते हुए कहा ऐसा नशा करने वाले की बच्चो की शारीरिक क्षमता कमजोर हो जाती है ! जिसका सीधा असर किडनी और लीवर पर होता है ! अगर इस तरह का नशा इंजेक्शन के जरिये लिया जाय तो एचआईवी होने का ख़तरा बना रहता है ! जब किसी बच्चे ने नशा किया हुआ है तो उस की आंखों की पुतलियां बहुत छोटी हो जाती है जिस से नशे के आदी बच्चो को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है