नैनीताल – महावीर के जज्बे को सलाम

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कान्तापाल/ नैनीताल – उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में आज एक ऐसा व्यक्ति आय जिसके जज्बे को देखकर सभी हैरान रह गए । दोनों पैरों से असहाय इस व्यक्ति का नाम महावीर प्रसाद बमराडा है जिसकी उम्र 41 वर्ष है और देहरादून के आर्य नगर का रहने वाला है ।
महावीर मंगलवार सवेरे देहरादून से अपनी विशेष थ्री व्हीलर मोटर साइकिल से चलकर शाम नैनीताल पहुंचे थे । महावीर ने अकेले 330 किलोमीटर का ये सफर सरकार को ये दिखाने के लिए किया था कि वो किसी भी सरकारी पोस्ट के लिए सक्षम है । महावीर को विकलांग कोटे में उत्तराखण्ड रोडवेज में देहरादून से नैनीताल का टिकट ही नहीं लगता । महावीर का कहना है कि वो खूब पढने के बाद संन 2011 में शहरी विकास विभाग में कर एवं राजस्व निरीक्षक परीक्षा में बैठे थे । उन्हें विकलांग कोटे में आरक्षण मिलना था । उन्हें तब बताया गया था कि वो एग्जाम में पास हो गए हैं लेकिन उन्हें रिजल्ट फेल का यह कहते हुए दिया गया था कि वो दोनों पैरों से विवश हैं इसलिए इस पोस्ट के लिए सही नहीं हैं । महावीर ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसपर  वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने छह मार्च 2018 को रोक लगाते हुए राज्य लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया कि वो महावीर का नाम चार हफ्ते में उसी पोस्ट के लिए प्रस्तावित करें । जिसके बाद राज्य सरकार जल्द इसपर विचार करले । महावीर ने मीडिया से बात करते हुए ये भी कहा कि क्या सरकार इस पोस्ट में निकलने वाले को ओलंपिक में दौड़ाना चाहती है ?
इस आदेश के खिलाफ राज्य लोक सेवा आयोग ने उच्च न्यायालय में विशेष याचिका दायर की जिसपर आज मुख्य न्यायाधीश के.एम.जोसफ और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ में सुनवाई होनी थी । हक के बावजूद नौकरी नहीं मिलने से व्यथित महावीर मंगलवार को अपनी थ्री व्हीलर मोटर साइकिल से नैनीताल पहुंच गए थे और समीप के एक होटल में रुके थे । यहाँ मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में उनके केस की बारी नहीं आने से सुनवाई नहीं हो सकी । महावीर ने बताया कि वो कल सवेरे वापस देहरादून लौट जाएंगे । महावीर का ये जज्बा देखकर सहज ही ये अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका जैसा व्यक्ति पैरों से बेशक लाचार है लेकिन मन और दिल से वो सामान्य लोगों को भी कहीं पीछे छोड़ देते हैं ।