बटेश्वर, आगरा – अटल जी के गांव बटेश्वर में सुनसान गलियां

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रिपोर्ट – नसीम अहमद / बटेश्वर, आगरा – कवि राजनेता ,भारत रत्न से नवाजे गये देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया ,पूरे देश मे शोक की लहर दौड़ गयी , हर देशवासी की जुबान पर उनका ही नाम है l अटल बिहारी वाजपेयी जी का पैतृक गांव आगरा से 70 किलोमीटर दूर बटेश्वर है उस गांव में भी माहौल गमजदा है ,अटल जी के पैतृक गांव में आज भी उनके परिवार के सदस्य  और परिवारजन मौजूद हैं , जिनको अटल जी के जाने का बेहद दुख है ,गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है लोग घरों के दरवाजे पर बैठे दुखी दिखाई दे रहे हैं कि उनका कुछ छिन्न गया l
दरसअल अटल जी के पिताजी का घर बटेश्वर मे है जो कि यहां से ग्वालियर चले गए ,अटल जी चार भाई तीन बहिन है अटल जी जन्म 1924 में ग्वालियर में हुआ अटल जी बटेश्वर आते जाते रहे,अटल जी का जो मकान है वो आज खंडहर में तबदील हो चुका है ,अटल जी जब प्रधानमंत्री बने जब बटेश्वर में रेलवे हॉल्ट का शिलान्यास किया लेकिन बो बन नही पाया हालांकि कई साल पहले केंद्र सरकार ने उसे अमलीजामा देकर तैयार करा दिया ,बटेश्वर  में शिवजी के 101 मंदिर है बटेश्वर शिव मंदिर तो अटल जी के गांव से भी जाना जाता,लेकिन आज इस गांव में अटल जी देहांत के बाद लोग गमजदा है l
अटल जी के पिता कृष्ण बिहारी  बाजपेयी के मकान के ठीक बगल में अटल जी के भतीजे रमेश चंद वाजपेयी का मकान है बो कई दिनों से उनके स्वास्थ्यय लाभ जे लिए पूजा अर्चना कर रहे थे लेकिन कल शाम जब उन्हें मालूम पड़ा कि उनके चाचा अटल बिहारी जी अब इस दुनिया मे नही है तभी से वो गमजदा है दुखी है ,उनके घर मे शोक का माहौल है ,उनके घर आने जाने वालो का तांता लगा हुआ है l
पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के घर के बाहर सूनी गालियां और पेड़ो पर चिड़ियों की चहचहाट के न होने पर इस बात का अंदेशा लगाया जा सकता है कि अटल जी के चले जाने पर गांव के लोगो को ही नही बल्कि पक्षियों को भी जैसे दुःख महसूस हो रहा है ,अटल जी के घर के बाहर उनकी कुल देवी का मंदिर है बैसे बहा हर रोज घंटा घड़ियालों की आवाज आती थी लेकिन आज बहा पूरी तरह से सन्नाटा है बहा पूजा अर्चना करने बाले अटल जी के रिश्तेदार मंगल चरण शुक्ला का कहना है कि अटल जी के जाने से शोक की लहर है वो कई दिनों से उस मंदिर में उनके ठीक होने के लिए पूजा अर्चना कर रहे थे लेकिन बो वच नही पाए उन्हें इस बात का दुख है l
मंगल चरण शुक्ला,अटल जी के रिश्तेदार ने बताया ,अटल बिहारी  वाजपेयी ने सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ महज 16 साल की उम्र में अग्रेजो के कब्जे में जंगलात कोटि के नाम से जाने जानी बाली कोठी पर हमला कर दिया और अग्रेजो को भगा दिया उस कोठी को क्षतिग्रस्त भी कर दिया बाद में अग्रेजो ने अटल जी को गिरफ्तार भी किया इसके लिए अटल जी लोगो के लिए पसंदीदा शख्स बन गए l
अटल जी को लेकर गांव वालों ने बताया  कि अटल जी कुछ समय बटेश्वर के प्राथमिक़ विद्यालय पढ़ने के लिए गए उसके बाद वो ग्वालियर चले गए अटल जी छुट्टियों के समय  बटेश्वर आते थे ,उनके साथी और परम मित्र 85 वर्षीय कैलासी  जिनके साथ वो बटेश्वर के यमुना गोपालेस्वर घाट पर खेलने आते थे उन्होंने बताया कि अटल जी को गुल्ली डंडा,छुपा छुपी ,और कब्बड्डी खेलने का शौक था ,एक बार अटल जी खेलते खेलते नहाने के लिए यमुना में छलांग लगा गए उन्हें तैरना नही आता था  ,उन्हें उनके साथी कैलाश ,रामदीन,हरिचरण ने यमुना में कूद कर बचाया, वो  लोग आज उनकी यादें  ताजा करने के लिए उसी गोपालस्वर घाट पर बैठे है जिन्हें अपने साथी के चले जाने का दुख है l
अश्वनी वाजपेयी (अटल जी के भतीजे)  कह रहे हैं कि पूरे गाँव में शोक की लहर और गम का माहौल है ,  बटेश्वर मंदिर पर संतों ने अटल जी की आत्मा की शांति के लिए जाप और यज्ञ  किया l