बाबा को जेल, सरकार के सब इंतजाम फेल

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पंचकूला – डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दो महिलाओं से रेप के आरोप में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने 25 अगस्त यानी आज दोषी करार दिया है l  हालांकि कोर्ट ने सजा पर फैसला 28 अगस्त तक के लिए सुरक्षित रखा है l फैसले के बाद राम रहीम को कोर्ट से ही हिरासत में ले लिया गया और रोहतक जेल पहुंचा दिया लेकिन यहां जुटे इसके समर्थकों ने पत्रकारों पर हमले किए और तोड़फोड़ की l  हालांकि हेलीकॉप्टर से निगरानी की जा रही थी लेकिन गुस्साए समर्थकों ने पंचकूला में कई गाड़ियां फूंक दी हैं l  समर्थकों ने मीडियाकर्मियों पर जगह जगह हमला किया , तीन चैनलों की ओबी वैन को आग के हवाले कर दिया l   अदालती फैसले के बाद समर्थकों के  गुस्से  का खामियाजा पत्रकारों को झेलना पड़ा है l  पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है l 12 लोगों के मौत की सूचना है हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। डेरा प्रेमियों ने 100 से अधिक वाहनों को आग लगा दी है।  बठिंडा, फिरोजपुर, मानसा में कर्फ्यू लगा दिया गया है वहां  कई  जगह रेलवे स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया है l  इसके अलावा कई जगह पेट्रोल पंप और सरकारी दफ्तरों में भी आग लगा दी गई। एहतियातन,पंचकूला, बठिंडा सहित कई शहरों में बिजली काट दी गई है। हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में लोगों ने डर से अपनी दुकानें बंद कर दी हैं जगह जगह हिंसा के चलते लोग दहशत में हैं l

लेकिन सवाल यह उठता है कि ये हालात बेकाबू क्यों हुए इतनी एहतियात बरतने के बावजूद l भीड़ की वजह से सरकार के हाथ-पैर फूल गए l प्रदेश की जनता सरकार से ये सवाल कर रही है कि कहां थी एहतियात और इंतजाम जो धारा 144 लगने के बावजूद लाखों की संख्या में डेरा समर्थक पंचकूला पहुंच गए l वो सरकार ने पहुंचने ही क्यों दिए उन्हें वहां इतनी भारी संख्या में इकठा होने से पहले ही क्यों नहीं रोका गया ? ये हालत तो आम लोगों को भी पहले ही नज़र आ रहे थे तो सरकार को क्यों नहीं नज़र आये ? इतनी भीड़ तो बेकाबू होनी ही थी ? कोर्ट में ये पेशी हो रही थी या लाव लश्कर के साथ , गाड़ियों का हुजूम , लाखों समर्थकों के साथ सरकार के आगे शक्ति प्रदर्शन ? तो सरकार क्यों अनजान बनी रही और मूकदर्शक होकर ये सब देखती रही ? जगह जगह जनता ये सवाल पूछ रही है कि कानून व्यवस्था का राज कहाँ  है? यानि ये सब भारत की राजनीतिक कार्यप्रणाली का ही परिणाम है कि चंद वोटों के लिए हमारे राजनीतिज्ञ अच्छे बुरे का फर्क समझने में चूक कर जाते हैं और बाद में जनता इसका परिणाम भुगतती है और सरकार फिर आयोग का गठन कर देती है?