मंडी नहीं होने से परेशान नैनीताल के कास्तकार

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कान्तापाल/ नैनीताल  – नैनीताल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा कई और खूबियों के लिए जाना जाता है, जिसमें आपके लजीज खाने को और भी खुशबूदार और स्वादिष्ट बनाने वाला हरा धनिया भी यहीं की माटी में उगता है । खाने को सुंदर बनाने से लेकर खुशबूदार और स्वादिष्ट बनाने में ये हरा धनिया एक अहम रोल अदा करता है ।

नैनीताल के पंगोट और घु घु खान पहाड़ी इलाको में हर धनिया बड़ी मात्रा में उगाया जाता है । यहां इसके अलावा मटर और आलू भी उगाए जाते हैं लेकिन हरे धनिये की खुशबू से पूरा क्षेत्र महकता है । हरे धनिये का स्वाद किसे पसंद नही आता, अगर रसोई में हरा धनिया ना हो तो खाने का स्वाद ही अधूरा माना जाता है । यहां इस खेती में लगे कास्तकारों को अपने माल की सही कीमत और मंडी नहीं मिलने के कारण अपना माल बरेली और मुरादाबाद की मंडी तक पहुंचाना पड़ता है । ये कास्तकार मंडी नहीं होने से परेशान तो हैं ही साथ में धनिये के सही दाम नहीं मिलने के कारण बाहरी राज्यों में धनिया बेचने को मजबूर भी हैं ।

इन दिनो नैनीताल के सदूरवर्ती गाॅवो में बरसात के चलते धनिया कास्तकारो की कुछ फसल बर्बाद भी हो रही है जिससे उन्हे नुकसान उठाना पड रहा है । नैनीताल से लगे ग्रामीण क्षेत्रो मे कास्तकारो के पास न तो साधन है और न ही सुविधाएं जिसके चलते उनकी हरे धनिया की खेती बर्बाद हो रही है । नैनीताल के पगूंट में साल में केवल दो फसल उगाने वाले कास्तकार बरसात के चलते परेशान है इन किसानो कि माने तो यहां पैदा होने वाला हरा धनिया अत्यधिक बरसात के कारण खेतो में ही गलकर खराब हो रहा है । जबकि बरसात शुरू होने से ठीक पहले उनका यही धनिया 100 से 150 रूपये किलो तक बिक रहा था । अत्यधिक बारिश  होने से अब यही धनिया 30 से 35 रूपये प्रति किलो, व्यापारी ले रहे है । कैलाश सिंह रावत, कास्तकार का कहना है कि अगर राज्य सरकार उनके लिए मंडी की व्यवस्था कर दे तो उन्हे अच्छे दाम मिल सकते है क्योकि यहाँ  पैदा होने वाला धनिया अधिकतर यूपी के व्यापारी औने पौने दामों  में ले जाते हैं ।