मार्किट कमेटी करनाल में नहीं टूट रहा भ्र्ष्टाचार का चक्क्रव्यूह

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मार्किट कमेटी करनाल में नहीं टूट रहा भ्र्ष्टाचार का चक्क्रव्यूह , दो सचिवों के निलंबन और कई अधिकारियों के स्थानांतरण के बाद भी कमेटी अधिकारियों की नाक तले चल रहा भ्र्ष्टाचार का खुला खेल।  
 
करनाल – दो सचिवों के निलंबन और कई अधिकारियों के तबादले के बावजूद करनाल मार्किट कमेटी में भ्र्ष्टाचार का खेल बदस्तूर जारी है।  भ्र्ष्टाचार के इस खेल की आंच कमेटी अधिकारियों से लेकर ऊपर तक पहुँच रही है। कुछ अधिकारी ही मिलकर मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस की नीति को फेल करने में लगे हुए हैं।  इसका साक्षात् उदाहरण आज करनाल अनाजमंडी में उस समय देखने को मिला जब यहाँ पहुंचे कुछ मीडियाकर्मियों ने बजीदा रोड स्थित डीएफएससी के धर्म कांटें पर ठेकेदार की गाड़ियों को ओवरलोडिड ले जाते रंगे हाथों पकड़ा। एडीसी द्वारा जारी टेंडर के मुताबिक दस टायर वाले ट्रक में 300 कट्टे ले जाने का प्रावधान है जबकि यहाँ खड़े ट्रकों में डेढ़ गुना से लेकर दोगुना कट्टे तक लदे हुए थे जो सरकारी टेंडर नियमों की सरासर उलंघना है।  नियमों का पालन ना करने वाले ट्रक व् ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का प्रावधान है और साथ ही उसका टेंडर भी रद्द किया जा सकता है।    

आज सुबह करनाल अनाज मंडी से ओवरलोड ट्रकों का काफिला निकला तो मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों ने मार्किट कमेटी सचिव जिले सिंह को इस बारे सूचना दी । पहले तो उन्होंने कहा कि हम ऐसे ओवरलोडिंग या गलत काम में सलिप्त पाए जाने वाले ट्रक मालिकों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेंगे l लेकिन मीडिया टीम दवारा मौके पर उन्हें कई बार फोन कर बुलाया गया तो उन्होंने असमर्थता जताते हुए कहा कि ऐसे ट्रकों के खिलाफ मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है न ही मैं उनके खिलाफ कार्यवाही करने में सक्षम हूँ l इसके बाद जब मीडिया टीम ने उपायुक्त आदित्य दहिया से बात की तो उन्होंने कार्यवाही करने की बजाए मीडिया टीम से लिखित शिकायत करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया , अब सवाल यह है कि क्या वो ट्रक लिखित शिकायत देने तक वहीं खड़े रहेंगे ? 

इसके साथ ही अतिरिक्त उपायुक्त निशांत यादव को भी मामले की जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि वह जल्द ही एक टीम गठित कर मौके पर भेज रहे हैं लेकिन दो से तीन घंटे बीतने तक भी टीम मौके पर नहीं पहुंची , काफी समय बाद अतिरिक्त उपायुक्त के कार्यालय से फोन आया की उन्होंने एक टीम को अनाज मंडी में भेज दिया है , आप उन्हें ट्रक दिखा दो।  लेकिन सांप निकलने के बाद लकीर पीटने पहुंची आर टी ए टीम के मौके पर आने से पहले ही ट्रक चालक अपनी गाड़ी लेकर रफूचक्कर  हो चुके थे।  इस देरी से ट्रक चालकों को भागने का समय मिल गया।  आर टी ए टीम की ये देरी और लापरवाही जिला अधिकारियों की नीयत पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।  यही नहीं पिछली घटनाओं से भी मौजूदा अधिकारी कोई सबक सीखने को तैयार नहीं है। अब देखना यह है कि भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जोरशोर से पारदर्शी शासन और ईमानदारी का ढोल पीटने वाले सरकार में बैठे नेता क्या इन अधिकारियों और भ्र्ष्ट माफिया का गठजोड़ तोड़ पाएंगे ?