राज्यमंत्री ने पटवारी को निलंबित करने और शाहबाद नगर पालिका के सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए

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चंडीगढ़ – हरियाणा के खाद्य, आपूर्ति एवं वन राज्यमंत्री कर्णदेव काम्बोज ने शाहबाद शहर में स्कूल की जमीन के मामले में भूमाफिया से मिलीभगत के आरोप में शाहबाद के खंड शिक्षा अधिकारी व वक्फ बोर्ड के पटवारी को  निलंबित करने के आदेश दिए है। इसी मामले में नगर पालिका शाहबाद के सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए है। इतना ही नहीं नोटबंदी के दौरान जमीन की लीज के लिए 12 लाख रुपए की राशि जमा करवाने के मामले में भी राज्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच का जिम्मा आयकर विभाग को सौंपने के आदेश दिए है। इसी प्रकार, उन्होंने सेक्टर 3 में हुडा मकानों के सामने भू-माफिया के लोगों ने हुडा अधिकारियों द्वारा लगाए गए ताले को तोडऩे पर संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है।
 काम्बोज ने यह आदेश आज कुरूक्षेत्र में जिला लोक सम्पर्क एवं कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक में अतिरिक्त एजेंडे के रुप में रखी गई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिए है। शाहबाद सुभाष नगर के कुछ लोगों ने पिछली बैठक में स्कूल प्रशासन व नगर पालिका अधिकारियों की मिलीभगत से शहर के बीचोंबीच स्कूल के साथ लगती बेशकीमती जमीन को भूमाफिया के साथ मिलकर कब्जा करवाने सम्बन्धित शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत के आधार पर राज्यमंत्री ने अतिरिक्त उपायुक्त धर्मवीर सिंह, कष्ट निवारण समिति के सदस्य रविन्द्र सांगवान, सहदेव मल्हान व अशोक वत्स को जांच कर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेवारी दी थी। इस रिपोर्ट को अतिरिक्त उपायुक्त ने कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक में रखते हुए बताया कि जिस जमीन पर नाजायज कब्जा दिखाया गया है, वह जमीन आज भी मौके पर खाली है, एसडीएम शाहबाद द्वारा 20 दिसम्बर 2016 को फैसला सुनाया गया कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है, यह सारी जमीन शहर के बीचोंबीच स्थित है, जिसमें एक राजकीय कन्या उच्च विद्यालय व जन स्वास्थ्य विभाग के टयूबवैल लगे और लगभग एक हजार वर्ग जमीन मौके पर खाली पड़ी है, जिसे हरियाणा वक्फ बोर्ड, कुरुक्षेत्र अपनी मलकीयत बता रहा है, जिसकी सही निशानदेही सम्भव नहीं, क्योंकि खसरा नम्बर 116 में शहर का काफी भाग सम्मिलित है।
एडीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंवरपाल सिंह, महिन्द्र सिंह व सुखविन्द्र पाल सिंह पार्टी है, जबकि फैसले से पहले ही वक्फ बोर्ड द्वारा यह लीज किसी दुसरे व्यक्ति के नाम अलॉट कर दी गई है, यह भी सही है कि इस केस की पैरवी न तो शिक्षा विभाग द्वारा अच्छी तरह से की गई है और न ही नगर पालिका शाहबाद के द्वारा की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार संदीव मारवाह के द्वारा जब भूमि को सरैंडर किया गया, उस समय का सरैंडर प्रमाण पत्र साथ नहीं है तथा दोबारा से वक्फ बोर्ड द्वारा इस जमीन को लीज पर देने के लिए विज्ञापन स्थानीय समाचार पत्रों में नहीं दिया गया, जिससे आमजन को पता चल सके। जिसमें वक्फ बोर्ड के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत प्रतीत होती है। इस कमेटी का कहना है कि उपरोक्त प्रोपर्टी का फैसला जो वक्फ बोर्ड के हक में किया गया है व शिक्षा विभाग तथा नगर पालिका शाहबाद के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा समय पर पैरवी न करने के कारण लापरवाही की गई प्रतीत होती है तथा फैसला आने की तिथि 20 दिसम्बर 2016 से पहले ही जमीन सब लीज संदीप मारवहा द्वारा किसी दूसरे व्यक्तियों के नाम कर दी गई थी, उसी को वक्फ बोर्ड के द्वारा 27 दिसम्बर 2016 को उन्हीं व्यक्तियों के नाम पर लीज कर दी गई है। इससे प्रतीत होता है कि वक्फ बोर्ड द्वारा नियमानुसार कार्रवाई नहीं की है और मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
राज्यमंत्री  ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एडीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लापरवाही बरतने पर ख्ंड शिक्षा अधिकारी शाहबाद और वक्फ बोर्ड के पटवारी को निलंबित करने के साथ-साथ नगर पालिका शाहबाद के सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है। इस मामले में लीज करवाने के लिए नोटबंदी के दौरान 12 लाख रुपए की राशि का लेन-देन हुआ। इस मामले की जांच करवाने के लिए आयकर विभाग को जिम्मा सौंपने के आदेश पारित किए गए है। राज्यमंत्री ने कहा कि यह जमीन 3 एकड़ है और इस समय एक हजार गज जमीन खाली पड़ी हैं।
इसी प्रकार, राज्यमंत्री ने सेक्टर 3 निवासी सुगम चंद की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सेक्टर 3 हुडा मकानों के सामने स्कूल व अन्य सुविधाओं के लिए खाली छोड़ी गई लगभग 1 हजार वर्ग गज जमीन पर भूमाफिया द्वारा कब्जा करने और हुडा के अधिकारियों द्वारा लगाए गए ताले को तोडक़र दोबारा ताला लगाने के मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है और इस जमीन की दोबारा डिमार्केशन करने के लिए भी कहा गया है।