शाहजहाँपुर में अनूठी जूतेमार होली मनाई

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नन्दलाल / शाहजहाँपुर – रंगो का त्यौहार होली और उसे मनाने के तरीके पूरे देश में अलग अलग है। कही फूलों से होली खेली जाती है तो कही लाठीमार होली खेली जाती है लेकिन शाहजहांपुर में होली खेलने की परम्परा सबसे अनूठी है। यहां जूते मार होली का लुत्फ उठाया जाता है। ये जूतेमार होली अंग्रेजो के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए किया जाता है। एक अग्रेज को लाट साहब बनाकर उसे जूतों से पीटा जाता है जो कि लाट साहब के जुलूस के नाम से जानी जाती है। बेहद संवेदनशील माने जाने वाले लाट साहब के जुलूस में पुलिस की बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।

शाहजहांपुर में हुड़दंगियों का ये रेला लाट साहब के जुलूस का है और भैंसा गाड़ी पर बैठाकर जिस व्यक्ति को जूते से पीटा जा रहा है।   दरअसल ये व्यक्ति को आज होली के इस जुलूस का लाटसाहब है। यहां लाट साहब का जुलूस निकालने की ये परम्परा बरसों पुरानी है। चूंकि अंग्रेजो ने जो जुल्म हिन्दुस्तानियो पर किये है वो दुख आज भी हर किसी के दिल मे मौजूद है। यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते है। लाट साहब के इस जुलूस में अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं और उसे जूते और झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है। यहां खास बात ये होती है इस लाट साहब के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता है। लेकिन जब ये जुलूस मेन  रोड पर आता है तो लाट साहब को एक पन्नी की चादर से ढक दिया जाता है। इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते है। क्योंकि ये शाहजहाुपुर की वर्षो पुरानी परम्परा है।

लाट साहब का जुलूस शहर में दो स्थानों से निकाला जाता है पहला जुलूस थाना कोतवाली के बड़े चौक से और दूसरा जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईया से जिसमें हुड़दंगी हर साल कोई न कोई वलवा जरूर खड़ा कर देते हैं। ये हुड़दंगी अंग्रेजों के लिए तो गन्दी गन्दी फब्तियां कसते ही है साथ में पुलिस को भी जबकर गन्दी गन्दी फब्तियां कसते नजर आते है। हालात ये होते हैं कि पुलिस ये सब नजारा और फब्तिया सुनने को मजबूर होते हैं। वैसे तो किसी को सरेआम पीटना गैर कानूनी होता है लेकिन यहां किसी को जूतों और झाड़ू से पीटने का ये पूरा खेल पुलिस की निगरानी में ही होता है। इसी के चलते इस बार शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस अधिकारियों समेत लगभग दो हजार पुलिस कर्मियों के अलावा रेपिड एक्शन फ़ोर्स सीआरपीएफ और पीएसी को तैनात किया गया है।  ताकि शाहजहांपुर की होली शान्ति पूर्ण ढंग से निपट जाये। लेकिंन ये होली ब्रिटिश हुकूमत और उसके जोलमो का याद ताजा तो कराती ही है वही अंग्रेजो के प्रति अपना गुस्सा भी प्रकट करती है l

वैसे तो पूरे साल लोग अलग अलग तरीके अपना विरोध प्रकट करते है लेकिन शाहजहांपुर में अंग्रेजों के प्रति अपना विरोध प्रकट करने का ये तरीका बेहद निराला है जहां होली पर अंग्रेज बने लाट साहब को जूते मार कर अपना विरोध प्रकट किया जाता है। यहां होली के रंगों का मजा तो लिया ही जाता है साथ लाट साहब के जुलूस का मजा भी बेहद निराला है। भले ही आज हमारा देश अंग्रेजो से आजाद हो चुका है लेकिन उनकी गुलामी का दर्द आज भी देश के लोगो में मौजूद है। फिल्हाल यहां होली पर जूते मारने की परम्परा आजादी के बाद से शुरू हुई है।