इंदौर – जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो ,मोहब्बत करने वाला जा रहा है : राहत इंदौरी

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इंदौर – (एजेंसी) दुनिया के मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में इलाज के दौरान निधन हो गया l  70 वर्ष के इंदौरी कोरोना पॉज़िटिव आए थे जिसकी उन्होंने स्वयं ही ट्वीट कर जानकारी दी थी l  शायरी की दुनिया में कदम रखने से पहले, इंदौरी एक चित्रकार और उर्दू के प्रोफेसर थे l  उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये गीत भी लिखे थे और दुनिया भर के मंचों पर काव्य पाठ किया l उनके चाहने वालों ने उनकी शायरी की लाइनों से ही उन्हें दी है जो आज उनकी मौत की खबर के बाद सोशल मीडिया और हर तरफ खबरों में देखा जा रहा है l इंदौरी के चाहने वालों ने उनकी मौत को साहित्‍य जगत का बड़ा नुकसान बताया है l उनकी गजब की शायरी ने लोगों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी है जो आज उनकी मौत की खबर के बाद से उन्ही की लिखी लाइनें उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित की जा रही है, जो हर जगह सोशल मीडिया और खबरों में देखी जा रही है l

इतना ही नहीं राहत इंदौरी का एक शायरी की लाइनें बाद में  NRC-CAA के विरोध की बुलंद आवाज़ बन गई और पोस्टरों तक में सुर्खियां बटोरने लगीं कि …….. “किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’ l

‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है,
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं, ज़ाती मकान थोड़ी है,
सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है!

राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों और गानों से दुनिया के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई l उनके मशहूर कुछ शेर जो गजब की चर्चा में रहे और आज इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गए l

जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा है

अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना

अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे

बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए
हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से