Karnal, करनाल – डिंगर माजरा का हवलदार बलजीत आतंकवादियों से लोहा लेते हुए पुलवामा में हुआ शहीद

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फोटो कैप्शन: शहीद हवलदार बलजीत सिंह (फाइल फोटो)

घरौंडा/करनाल – घरौंडा उपमंडल के गांव डिंगर माजरा का 50 राष्ट्रीय राईफल में हवलदार के पद पर तैनात 35 वर्षीय जवान बलजीत सिंह पुत्र किशनचंद श्रीनगर के पुलवामा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। इसकी पुष्टि घरौंडा के उपमंडलाधीश मो. इमरान रजा व जिला सैनिक बोर्ड के सचिव प्रमोद कुमार यादव ने की है। सैनिक बलजीत सिंह के शहीद होने के सूचना जैसे ही पैतृक गांव पहुंची तो गांव स्तब्ध रह गया। परिवार से प्राप्त जानकारी अनुसार हवलदार बलजीत सिंह इस समय श्रीनगर के पुलवामा में 50 राष्ट्रीय राईफल मेें तैनात था। गत रात्रि को 2.30 बजे उनकी सेना के जवानों को पुलावामा के पास तीन आतंकवादियों के घुसे होने की सूचना पहुंची, तो वह अपने साथी जवानों के साथ आतंकवादियों की घेराबंदी के लिए पहुंचे। इस दौरान आतंकवादियों को सेना के निकट आने की भनक लग गई व अपनी ओर से अंधेरे में फायर शुरू कर दिए। इधर हवलदार बलजीत अपने आफिसर जे.सी.ओ. के साथ सर्च अभियान की अगुवाई में शामिल था। इस मुठभेड़ में बलजीत ने एक आतंकवादी को फायर कर मार गिराया, लेकिन सामने से आतंकवादियों की फायरिंग में बलजीत सिंह को दो गोली लगी व एक अन्य साथी सिपाही को गोली लगी। जिसके बाद साथी सैनिक तुरंत सेना के अस्पताल दोंनो गोली लगने से घायल जवानों को लेकर पहुंचे। लेकिन तब तक हवलदार बलजीत व उसका दूसरा साथी सिपाही शहीद हो चुके थे।
जनवरी 2002 में 2 मैक इनफैंटरी में भर्ती हुआ था, शहीद हवलदार बलजीत
जनवरी 2002 मेें हवलदार बलजीत सिंह 2 मैक इनफैंटरी में भर्ती हुआ था व महाराष्ट्र के अहमदनगर में ट्रेनिंग की थी। इसके बाद अपनी अच्छी फिटनैश के चलते हवलदार बलजीत ने एन.एस.जी.कमांडो की ट्रेनिंग पूरी की थी व वर्ष 2015 से वर्ष 2017 तक नई दिल्ली में एन.एस.जी.में वी.वी.आई.पी.डयूटी में तैनात रहा। इससे पहले भी तीन साल तक हवलदार बलजीत राष्ट्रीय राईफल में पोस्टिंग रह चुका था व अब दोबारा से लगभग पिछले तीन वर्षों से 50 राष्ट्रीय राईफल में श्रीनगर क्षेत्र में पोस्टिंग था।
हवलदार बलजीत का एक तीन वर्षीय बेटा व सात वर्षीय बेटी है
देश के लिए शहादत देने वाले हवलदार बलजीत की पत्नी अरूणा, एक तीन वर्षीय बेटा अरनव, सात वर्षीय बेटी जन्नत, 75 वर्षीय किसान पिता किशनचंद, बड़ी बहन नीलम जो कि करनाल के नेवल गांव में शादीशुदा है, बड़ा भाई कुलदीप जो कि खेती बाड़ी व एक गाड़ी चलाकर अपना जीवन निर्वाह कर रहा है। शहीद की माता मूर्ति का पहले ही देहांत हो चुका है। इसके अलावा किसान परिवार है व ताऊ का लडक़ा भी श्रीनगर में ही राष्ट्रीय राईफल में इस समय तैनात है।

जैसे ही शहीद के शहादत की सुचना गांव पहुंची तो पूरा गांव बलजीत के घर एकत्रित हो गया। इस दौरान पिता किशनचंद खेत में पशुओं का चारा लेने गए हुए थे, पत्नी घर पर ही घर का कार्य कर रही थी। पिता ने सुचना मिलने पर कहा कि वह तो फोन पर छुट्टी मिलने की बात कह रहा था। पत्नी अरूणा ने कहा कि एक दिन पहले ही मुझसे व बच्चों से बात हुई थी, दिपावली पर एक महीने की छुट्टी गांव में परिवार के साथ बिताकर गया था। शहीद की शहादत पर बड़े भाई कुलदीप लाठर, ताऊ के बेटे जसमेर लाठर, बलकार लाठर, दिलबाग आर्य, अमित लाठर, संदीप ने बताया कि बलजीत वास्तव में सच्चा देशभक्त था। जब उससे श्रीनगर डयूटी पर बातचीत होती तो हमेशा कहता था कि देश के लिए जीना व देश के लिए मरना है।
बुधवार सुबह पैतृक गांव डिंगर माजरा में नौ बजे होगा शहीद का अंतिम संस्कार
इस दौरान परिवार के सदस्य दिलबाग आर्य व जसमेर लाठर ने बताया कि सेना की ओर से सुचना मिली थी कि मंगलवार सांय सेना के जहाज में शहीद हवलदार बलजीत का पार्थिव शरीर अम्बाला सेना एयरपोर्ट पहुंचेगा। जिसके लिए भाई कुलदीप व परिवार के अन्य सदस्य अम्बाला के लिए रवाना हो गए थे। रात होने के कारण शहीद का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ बुधवार सुबह पैतृक गांव डिंगर माजरा में सुबह नौ बजे किया जाएगा।

प्रशासन की ओर से घरौंडा थाना प्रभारी दीपक कुमार, जिला सैनिक बोर्ड़ के अधिकारी व भारी संख्या में लोग सुचना मिलने पर डिंगर माजरा गांव पहुंचे व परिवार को सांत्वना दी।