नैनीताल -नैनीताल के ग्रामीण इलाकों में लौहार का काम करने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट

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रिपोर्ट -कांता पाल / नैनीताल -नैनीताल के दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में लौहार का काम करने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है। क्योंकि खेती और सड़क बनाने के साथ ही किचन में प्रयुक्त होने वाले हाथों से बने लोहे के औजारों की जगह फैक्टरियों में बने औजारों और मशीनों ने ले ली है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बीते दशको से खेती में और रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले औजारों को बनाने वाले अधिकतर लोहारो की दुकानें बंद हो चुकी है। गरमपानी के हेम टम्टा बताते है वे कई वर्षों से पुस्तैनी काम करते आए है। हाथों से लोहे के बने औजारों को बनाने के लिए उन्हें जंगलों से चीड़ के पेड़ो की छाल इकट्ठा करने के लिए जंगलों की खाक छाननी पड़ती है। छाल को भट्टी में जलाकर लोहे को गर्म कर पीटकर उन्हें औजार और बर्तनों की शक्ल दी जाती है। लेकिन समय बीतने के साथ ही हाथ से बने बर्तनों और खेती में काम आने वाले औजारों की जगह मशीनों ने ले ली है। हेम बताते है मशीनों से बने बर्तन और औजारों की अपेक्षा हाथों से बने बर्तनों और औजारों में लागत अधिक आती है जिसके चलते अब इक्का दुक्का लोग ही उनसे सामान बनवा रहे है। जिससे उससे उनकी दिहाड़ी भी नही निकल पा रही है। दिन भर गर्म भट्टी झोंकने और लोहा पीटने के बाद 2 सौ से 3 सौ रुपये ही कमा पाते है। जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।