अंधविश्वास की बेड़ियो में जकड़ी है उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की अनीता

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किशोर सिंह/ अजमेर – चाहे सर्दी की ठिठुरन ,झुलसती तपन या बारिश में भीगता तन हो इनके लिए जिंदगी के कोई मायने हमें नजर नहीं आते हैं,  वैसे ही उत्तरप्रदेश की अनीता जिसकी जिंदगी भी जंजीरों में जकड़ी हुई है भरा पूरा परिवार भी है लेकिन वह भी अंधविश्वास की जंजीरों में जकड़े कई वर्षों से मंदिर और दरगाह पर माथा टेक रहे हैं l सिर्फ और सिर्फ अनीता के पास केवल बेबसी के अलावा और कुछ नजर नही आता है l आजमगढ़ उत्तरप्रदेश की अनीता पिछले 4 माह से उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ से कथित ऊपरी हवा के इलाज के लिए अजमेर ऋषि घाटी के पास तिरपाल से बना किराए का कमरा लेकर रह रही है परिवार में अंधविश्वास इस कदर हावी है अनीता ही नहीं बल्कि उसके पति सहित 3 बच्चे भी इलाज के नाम पर खुद को जंजीरों में जकड़े पिछले 20 साल से पीर और फ़कीरों के चक्कर काट रहे हैं l

अजमेर के रामप्रसाद घाट के पास प्लास्टिक के तिरपाल में बैठी यह 40 वर्षीय अनीता चल फिर तो सकती है लेकिन वह इतनी कमजोर है  कि वह वृद्ध  की तरह दिखाई देती है आखिर अनीता सहित परिवार के सभी लोगो के नसीब में जंजीर लिख दी गई है सरकारी स्तर से भी कोई मदद को आगे नहीं आया है l

अनीता के पति कुमार का कहना है 20 साल पहले किसी महिला ने पूरे परिवार को खाने में कुछ मिलाकर खिला दिया था जिससे उसका पूरा परिवार ऊपरी हवा में आ गया तब से इलाज के लिए पीर फकीर मंदिर हो या मस्जिद सभी के वह चक्कर काट रहे हैं इसका बुरा असर यह हुआ कि सही इलाज के अभाव में पूरा परिवार ही मानसिक रुप से कमजोर हो गया जबकि कुछ नहीं हुआ तो धीरे-धीरे परिवार का हर सदस्य अंधविश्वास की बेड़ियो में जकड़ता चला गया l
अजमेर के रामप्रसाद घाट पर यह कोई पहला मामला नही आपको ऐसे कई मरीज दिखाई देंगे जो इलाज के नाम पर अंधविश्वास के चलते जंजीरों में जकड़े हुए हैं हम एक और डिजिटल इंडिया की बात करते हैं और यहां समाज अंधविश्वास की बेड़ियो में बुरी तरह जकड़ा हुआ है l