अजमेर -मीरा सैयद खिंगसवार का उर्स कलावे की रस्म के साथ संपन्न ,डंके की चोट पर लूटा कलावा

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किशोर सिंह / अजमेर -तारागढ़ पर स्थित हजरत मीरा साहब के उर्स में कुल की रस्म के दौरान कलावा यानी लच्छा लुठने के लिए जायरीनों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी ! रस्म के दौरान दरगाह में जैसे ही शादियाने और नगाड़े बजाये गए ,कलावा लूटने के लिए लोग टूट से पड़े l सवा मन कलावा पलभर में लूट लिया गया अकीदतमंद हाथ में कलावे को ख़ुशी -ख़ुशी घर ले गए कुल की रस्म के साथ ही मीरा साहब का तीन दिवसीय उर्स का समापन हो गया l

मीरा साहब के कुल की रस्म में शरीक होने के लिए जायरीन सुबह से ही दरगाह शरीफ पहुचने लगे l दरगाह शरीफ में सुबह 9 बजे पंचायत खुद्दाम सैयदजादगान की और से ढोल नगाड़े और कव्वाली के साथ मीरा साहब की मजारे शरीफ पर चादर पोशी की गयी l चादर का जुलुस हताई चौक से रवाना होकर मजार शरीफ पर पहुँचा l इसमें पंचायत के पदाधिकारी ,सदस्य व दरगाह के खादिम शामिल हुए l 11 बजे कुल की महफ़िल का आयोजन किया गया जिसमे दरगाह के शाही कव्वाल कुर्बान हुसैन व उनके साथियो ने रंग और बधावा पेश किया विभिन्न स्थानो से आये कव्वालों ने भी मीरा साहब की शान में सूफियाना कलाम पेश किये जिस पर अकीदतमंद झूमने पर मजबूर हो गए l महफ़िल की सदारत दरगाह कमिटी के सदर मोहसीन सुल्तानी ,कमिटी सदस्य माशूक अली व अब्दुल हाकिम ने की l रस्म के दौरान हर कोई अकीदतमंद नाम आँखों से मीरा साहब की यादो में डुबा हुआ नजर आया l

हजरत मीरा साहब के कुल की रस्म के दौरान नक्कारे पर जैसे की डंके की चोट लगी मजार शरीफ पर एक लम्हे के लिए कम्पन होता हुआ महसूस सा हुआ l इसी के साथ आस्ताना में मौजूद अकीदतमंद मजार शरीफ पर बंधा सवा मन कलावा लूटने के लिए आगे बढ़े l हर कोई कलावा पाने को हर तरफ बेताब नजर आने लगा l होड़ में अकीदतमंद के बीच कुछ देर के लिए छीना झपटी सी हुई हालांकि सभी कलावा पाने में कामयाब से रहे l खादिमों ने बताया की अकीदतमंद यह कलावा तबर्रुक के रूपं में अपने साथ लेकर जाता है और ऐसी मान्यता है की यह कलावा बुरी बलाओ को टालने में और हारी बिमारी में काम आता है l इसके साथ ही मजारे शरीफ पर पेश की गयी मेहंदी भी कुंवारे युवक व युवतियां अपने अच्छे रिश्ते के लिए अपने घर लेकर जाते है l