किसान नई तकनीकों का प्रयोग करते हुए फसल अवशेष प्रबंधन उपाय अपनाएं – एसडीएम

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इन्द्री – एसडीएम प्रदीप कौशिक ने बुधवार को गांव श्रवण माजरा में प्रगतिशील किसान जसबीर सिंह के खेत में पहुंचकर जीरो ड्रील व हैप्पी सीडर से गेंहू की बुआई को देखा और किसानों को इस विधि से होने वाले फायदों के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि इससे फसल उत्पादन भी अधिक होता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि फसलो के अवशेष ना जलाएं और न ही दूसरों को जलाने दें। किसान नई तकनीकों का प्रयोग करते हुए फसल अवशेष प्रबंधन उपाय अपनाएं, पर्यावरण को प्रदूषण होने से बचाए तथा भूमि की उर्वरा शक्ति बढाएं।

उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन हेतू प्रयुक्त होने वाले विभिन्न कृषि यन्त्रों जैसे हैप्पी सीडर, रिवर्सीबल प्लो, रोटरी प्लो, मल्चर, स्ट्रा रिपर, स्ट्रा चोपर, स्ट्रा बेलर, रिपर बाईंडर, जीरो ड्रील पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इन्ही यन्त्रों की खरीद पर अनुसूचित जाति/महिला एवं सीमान्त व छोटे जोत वाले किसानो को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। कोई भी किसान फसल अवशेष प्रबन्धन के यह यन्त्र खरीद कर कृषि विभाग के निर्देशानुसार अनुदान का लाभ पा सकता है।
इस मौके पर खंड कृषि विकास अधिकारी जोजन सिंह नैन ने बताया कि जीरो ड्रील व हैप्पी सीडर से गेंहू की बुआई करने पर किसान को प्रति एकड़ 800 रुपये की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि कम जोत वाले किसानो की मदद करने हेतु एवं जो किसान समूह बना कर फसल अवशेष प्रबन्धन के कार्य को करना चाहते है, उन किसान समूहो को भी इन सभी फसल अवशेष प्रबन्धन हेतू प्रयुक्त होने वाले यन्त्रों की खरीद पर भी 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। हैप्पी सीडर, रिवर्सीबल प्लो, रोटरी प्लो, मल्चर, स्ट्रा रिपर, स्ट्रा चोपर, स्ट्रा बेलर, रिपर बाईंडर,  जीरो ड्रील के साथ ही ट्रैक्टर भी किसानो के ग्रुप की रजिस्टर्ड सोसाईटी एवं स्वयं सहायता समूह को 40 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध होंगें। किसान अधिक जानकारी के लिये सहायक कृषि अभियन्ता, उचानी के कार्यालय एवं अपने गांव के कृषि विकास अधिकारी से सम्पर्क कर सकता है। इस अवसर कृषि अधिकारी राकेश अग्रवाल, विनोद कुमार तथा विशेष कुमार भी उपस्थित रहें।